धरती पर तीन रत्न हैं-जल, अन्न और सुभाषित: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

धरती पर तीन रत्न हैं-जल, अन्न और सुभाषित: आचार्यश्री महाश्रमण

आर्यनगर, 11 अप्रैल, 2022
हिसार का ही उपनगर आर्यनगर जिसका पुराना नाम कुरड़ी था। तेरापंथ के सरताज आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः आर्यनगर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पधारे। जनजन के तारक आचार्य श्री महाश्रमण जी ने जनसभा को प्रतिबोध देते हुए फरमाया कि शरीर को चलाने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है। जीवन की ये प्रथम कोटि की अपेक्षाएँ हैं।
इन तीनों में सबसे ज्यादा जरूरी हवा है, बाद में पानी व भोजन है। धरती पर तीन रत्न हैंµजल, अन्न और सुभाषित है। मूढ़ लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न मान लेते हैं। रत्नों के बिना आदमी जिंदा रह जाए पर जल और अन्न के बिना कैसे जिंदा रहे। सुभाषित के मैं दो अर्थ करता हूँµएक तो शास्त्रों की वाणी, आर्षवाणी, दूसरी मीठा बोलना, अच्छा बोलना।
अच्छा बोलना आदमी दूसरे को चित्त समाधि पहुँचा सकता है। दुःभाषित बोलने वाला समाधिस्थ आदमी को असमाधि में पहुँचाने में निमित्त बन सकता है। शास्त्रों की वाणी, शास्त्रों का एक-एक वाक्य ऐसा होता है, जो आदमी के जीवन की दिशा और दशा बदल सकता है।
समता धर्म का आख्यान करना चाहिए। शास्त्रों की बातों को मनन कर ग्रहण-आत्मसात किया जाए तो आत्मा का कल्याण हो सकता है। प्रथम कोटि की जीवन की आवश्यकता में हवा, जल और भोजन है। दूसरी कोटि में वस्त्र और आवास होते हैं। तीसरे कोटि की आवश्यकता हैµशिक्षा और चिकित्सा। ये जीवन स्तर की तीन आवश्यकताएँ हैं।
इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आदमी को प्रयास भी करना होता है। आदमी कई प्रकार के नशे भी करता है। इनकी जीवन में आवश्यकता है क्या? यह चिंतन का विषय है। इसमें गरीबों की गरीबी और बढ़ सकती है। एक प्रसंग से समझाया कि नशामुक्त बनने से आदमी के पास बचत हो सकती है।
कितने लोग नशे की गिरफ्त में
आकर अपना नुकसान कर लेते हैं। नशे से बचने का प्रयास करें। नशा पहले थोड़ा-थोड़ा शुरू करता है। फिर घास में चिंगारी
जैसे आग लगा देती है, वैसे आदमी नशे का आदि हो जाता है। पहले आदमी नशा करता है, बाद में नशा आदमी को खाने लग जाता है।
पूज्यप्रवर ने स्थानीय लोगों को नशा न करने के संकल्प करवाए। त्याग किया है तो संकल्प शक्ति मजबूत हो। त्याग को तोड़ने का प्रयास न करें। नशे से दूराव रहे। लोग नशामुक्त बनें और उनकी दशा भी अच्छी रहे, यह काम्य है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में आर्यनगर सभाध्यक्ष देवराज जैन, मंत्री प्रदीप जैन, अमित जैन, ज्ञानशाला ज्ञानार्थी, मंजु जैन, कन्या मंडल, स्कूल से अनुपसिंह, सावित्री जिंदल व सुरेंद्र जैन ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।