महापुरुषों के दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

महापुरुषों के दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

हिसार, 10 अप्रैल, 2022
चैत्र शुक्ला नवमी, रामनवमी, नवरात्रा की संपन्नता और आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस। 262 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ला नवमी वि0सं0 1817 को तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु ने बगड़ी नगर में स्थानकवासी संप्रदाय से अभिनिष्क्रमण किया था। उस समय का तेरापंथ धर्मसंघ वर्तमान में एक विशाल वट वृक्ष के रूप में परे विश्व में फैला हुआ है।
आचार्य भिक्षु के परंपर पट्टधर, तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता, वर्तमान के भिक्षु ने आज के दिन मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में मंगल क्या है? दुनिया में अनेक प्रकार के मंगल हो सकते हैं। परंतु इष्ट मंगल धर्म होता है। धर्म से बड़ा दुनिया में कोई मंगल नहीं हो सकता।
प्रश्न है, धर्म क्या चीज है? जिसके द्वारा आत्मा का कल्याण हो वह धर्म होता है। धर्म के तीन प्रकार हैंµअहिंसा, संयम और तप धर्म है। जहाँ अहिंसा, संयम और तप है, वहाँ मंगल है। आदमी-प्राणी के अपने किए हुए कर्म होते हैं। कर्मों के कारण आदमी को दुःख भी भोगना पड़ सकता है। तो कर्मों के कारण भौतिक सुख भी मिल सकते हैं।
दुनिया में अनेक मनुष्य ऐसे होते हैं, जो साधुत्व को स्वीकार करते हैं। साधु बनकर धर्म की विशेष साधना करते हैं। आज चैत्र शुक्ला नवमी है। इस दिन का अपना प्रासंगिक महत्त्व है। अच्छे नाम के साथ जुड़ने से उस तिथि का विशेष महत्त्व हो जाता है। चैत्र शुक्ला नवमी रामचंद्रजी के साथ रामनवमी के रूप में जुड़ी है, तो हमारे धर्मसंघ के प्रथम आचार्य परमपूजनीय, परम श्रद्धेय, परम वंदनीय भिक्षु स्वामी के साथ भी जुड़ी हुई है।
दुनिया का भाग्य है कि इसमें महापुरुष भी होते रहते हैं। हमारे जैन धर्म में भी जैन रामायण चलती है। गुरुदेव तुलसी भी रामायण का व्याख्यान फरमाया करते थे। जैन धर्म के अनुसार भगवान राम मोक्ष में चले गए हैं। कितने लोग राम नाम लेते होंगे। पवित्र आत्मा का नाम स्मरण करना भी बढ़िया है। जब राम में रा बोलते हैं तो होठ खुल जाते हैं, म बोलने पर होठ बंद हो जाते हैं। मुँह खुलने पर भीतर का विकार बाहर निकल जाता है। भीतर से शुद्धता हो जाती है। म बोलने पर मुँह बंद होने पर बाहर का पाप भीतर नहीं आता है।
राम के नाम लेने के साथ पाप को भी छोड़ो। राम नाम का अपना महत्त्व है। राम की जो गुणात्मकता है, वो भीतर रहे।
हमारे धर्मसंघ को शुरू हुए लगभग 262 वर्ष हो गए हैं। आज ही के दिन आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण किया था, धर्म क्रांति की थी। उन्होंने धर्मसंघ में मर्यादाएँ बनाई। हम इस कल्पतरु रूपी धर्मसंघ में साधना कर रहे हैं।
आचार्य भिक्षु में बुद्धि-बल भी था। साथ में आस्था और श्रद्धा का बल भी था। भगवान महावीर और आगमों के प्रति अटूट आस्था थी। उनका आचार भी उत्तम था। तेरापंथ की पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ आज का दिन है। महापुरुषों ने हमें जो रास्ते दिखाए हैं, हम उन मार्गों पर चलें। राम भी आदर्श पुरुष थे। उनके जीवन प्रसंग को बताया कि हम राम से यह प्रेरणा लें कि सत्ता से मोह न हो। राम की त्याग की चेतना को समझें।
गुरुदेव तुलसी भी तुलसी राम थे, उन्होंने भी पद का विसर्जन किया था। आज का दिन हमें प्रेरणा देने वाला बने, यह काम्य है।
आज हिसार में आना हुआ है। हिसार में कई साध्वियाँ तो कितने वर्षों बाद मिली हैं। सभी साध्वियों का साधना का अच्छा क्रम चलता रहे, अच्छी धर्म प्रभावना होती रहे।
मुख्य नियोजिका जी ने कहा कि आज का दिन विशेष है। सत्य को प्राप्त करने का दिन है। जो व्यक्ति सत्य को पाना चाहता है, वह बहुत चीजों को छोड़ता भी है। आचार्य भिक्षु जिस पथ पर चले उस पथ पर हम आगे बढ़ते हुए प्रगति करते रहें।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में हिसार के मेयर गौतम सरदाना ने नगर की चाबी पूज्यप्रवर के श्रीचरणों में अर्पित की। परम पावन ने फरमाया कि नगरनिगम हिसार की ज्ञमल व िब्पजल है, साथ में ताला कहाँ है। नगर की ज्ञमल व िब्पजल प्रदान करना बहुत बड़ा सम्मान होता है। इतना समर्पण करना विशेष बात है। हिसार की जनता में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रहे। मैं आपके सम्मान का सम्मान करता हूँ।
श्रद्धा की प्रतिमूर्ति सावित्र जिंदल ने अपने भावों की अभिव्यक्ति पूज्यप्रवर के स्वागत में अभिव्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष संजय जैन, मेयर गौतम सरदाना, ज्ञानशाला ज्ञानार्थी, जैन समाज से भी नवीन जैन, तेयुप ने संकल्पों के वृक्ष से अपने भावों की अभिव्यक्ति श्रीचरणों में अर्पित की।
पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ आसपास के चतुर्मासिक क्षेत्रों से पधारे मुनि जंबूकुमार जी, मुनि धवल कुमार जी, साध्वी यशोधरा जी, साध्वी आनंदप्रभाजी एवं साध्वीवृंद ने समुह गीत से अपने भावों की अभिव्यक्ति श्रीचरणों में अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।