अपने हाथों से आध्यात्मिक सेवा कर हाथों को पवित्र बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अपने हाथों से आध्यात्मिक सेवा कर हाथों को पवित्र बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

खरावड़, 1 अप्रैल, 2022
जन-जन के उद्धारक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 12 किमी कवहार कर खरावड़ के सांई बाबा मंदिर परिसर में पधारे। परम पावन ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे पास पाँच इंद्रियाँ हैं, जिन्हें ज्ञानेंद्रियाँ कहा गया है। श्रोत, चक्षु, घ्राण, रसना और स्पर्श। जो जीवन में ज्ञान की माध्यम बनती हैं। तो भोग का माध्यम भी बनती हैं। आदमी कान के द्वारा शब्द को ग्रहण करता है। चक्षु के द्वारा रूप को देखा जाता है। घ्राण के द्वारा गंध और रसना के द्वारा स्वाद लिया जाता है। स्पर्श-त्वचा से छूआ जाता है। साधु के लिए तो संयम की बात है ही, परंतु गृहस्थों के लिए भी इंद्रियों का संयम रखना अच्छा होता है। इंद्रियों का संयम नहीं होने से आदमी बढ़िया काम भी नहीं कर सकता। यह एक प्रसंग से समझाया कि इंद्रिय संयम नहीं होने से बड़ा नुकसान हो सकता है।
मरना-जीना अलग बात है। आसक्ति से पाप कर्म का बंध होता है। विषयासक्ति पाप-कर्म का बंधन करवाने वाली होती है। विषय विरक्त रहना मोक्ष की दृष्टि से अच्छा रहता है। मन या भाव ही बंधन का कारण है, भीतर का भाव ही मुक्ति का कारण है। हम इंद्रियों का संयम रखने का प्रयास करें।
कान से अच्छी उपयोगी वाणी सुनें तो अच्छा ज्ञान हो सकता है। दूसरों की माँग को भी सुनना चाहिए। अच्छे संत-व्यक्ति का प्रवचन सुनें। भक्ति के अध्यात्म के गीत सुन लें। अच्छी चीज सुनें, दूसरों की बुरी बात या निंदा न सुनें। बुरा सुनो मत, बुरा देखो मत, बुरा बोलो मत, बुरा सोचो मत। इंद्रियों का हम सदुपयोग करें।
शरीर में शक्ति है, तो दूसरों को दुःख देने का प्रयास न करें, शरीर से सेवा करें। चंदन के लेप से शरीर सुगंधित हो सकता है, आभूषण से शरीर की शोभा हो सकती है। बाहर के आभूषण पहनें या न पहनें, गुणात्मक आभूषण हम धारण करें। हाथ की शोभा कंगन से ज्यादा दान देने से होती है। आध्यात्मिक सेवा हाथ की शोभा है। हाथ से बढ़िया काम करते रहो। बढ़िया काम करेंगे तो बढ़िया फल मिलेगा। हाथ हमारे सेवा करने से पवित्र हो सकते हैं। साबुन से तो हाथ साफ हो सकते हैं। साफ होना एक बात है, पवित्र होना अलग बात है।
हाथों से आध्यात्मिक सेवा, सहयोग करें। हाथों का अच्छा उपयोग करें। किसी को सहारा दे दिया तो अच्छा सहयोग दे दिया। हाथों को पवित्र बनाना है, तो हाथों से सेवा करो।
आज यहाँ सांई बाबा मंदिर में आना हो गया है। अनेक धर्मों के अपने स्थान होते हैं। हमें अध्यात्म की प्रेरणा मिलती रहे। जीवन में अध्यात्म रहे, यह काम्य है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में रोहतक के विधायक भारत भूषण, बतरा मंदिर के प्रधान नवीन, बजरंग दल से सुरेंद्र गोयल व चंद्रसेन ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।