क्षमता समता धृतिधारी

क्षमता समता धृतिधारी

क्षमता समता धृतिधारी

 

साध्वीप्रमुखा महाश्रमणी, ममता की मूरत प्यारी।
क्षमता समता धृतिधारी।
साध्वीप्रमुखा महाश्रमणी, ममता की मूरत प्यारी।
निर्मलता विस्मयकारी।।आं।।

सतरह से अठहत्तर तक, संयम चर्या परिपालन।
वर्ष पचास किया प्रमुखापद, का सम्यग् संचालन।
तीन तीन आचार्यों से पाई, अनुपम रिझवारी।।1।।

अनुपमेय था सब कुछ किन शब्दों से तुमको तोलूँ।
अंतरमन कहता कुछ बोलो, पर क्या कैसे बोलूँ?
अथ से इति तक पाई मैंने कृपा तुम्हारी भारी।।2।।

बचपन से लेकर बीदासर तक की सारी यादें।
पूर्वांचल दक्षिण की यात्रा, पूरी करी मुरादें।
अंतिम क्षण तक भूल नहीं, पाऊँगी महिमा न्यारी।।3।।

शासनमाता सदा संघ की, करती रहना सेवा।
महाश्रमण शासण में जी भर, खायें मीठा मेवा।
गौरवशाली भैक्षवगण से, जुड़ी रहे इकतारी।।4।।

लय: प्यासे पंछी नील गगन में