यादें... शासनमाता की - (3)

यादें... शासनमाता की - (3)

साध्वी स्वस्तिक प्रभा
8 मार्च, 2022, श्री बालाजी एक्शन अस्पताल में 21 दिन प्रवास कर साध्वीप्रमुखाजी भिन्न सामाचारी से लगभग 9ः5 बजे अध्यात्म साधना केंद्र पधारी। आ0प्र0 ने भी आज करीब 20 किमी का विहार किया। 12ः40 के आसपास सा0प्र0 के पास पधारे, जमीन पर बैठकर तीन बार वंदना की। सुखपृच्छा के बादµ
सा0प्र0: आचार्यश्री की मर्जी हो तो आहार यहीं पर (साध्वियों के प्रवास स्थल पर) करवा लें।
आ0प्र0: लोग वहाँ (आ0प्र0 के प्रवास स्थल) पर खड़े होंगे। मैंने उनको मंगलपाठ नहीं सुनाया, पहले सीधे यहीं पर आ गया, फिर आप जैसे फरमाएँ।
सा0प्र0: मंगलपाठ मुख्यमुनि सुना देंगे।
आ0प्र0: ठीक है, वैसे मुनि दिनेश को कहा हुआ है। हम आहार यहीं कर लेंगे, फिर वापस एक बार आपके पास आ जाएँगे।
सा0प्र0: कितना लंबा विहार करवाया है? कितनी धूप में पधारे हैं, आचार्यश्री आज तो विश्राम करवाएँ।
आ0प्र: आहार के बाद विश्राम कर लेंगे। पहले आपका समय सवा दो बजे का था। आज उसी समय ही, सवा दो बजे, आपके पास आ जाएँगे।
सा0प्र0: तहत् कृपा करवाई।
आ0प्र0: लगभग 2ः25 पर सा0प्र0 के पास पधारे।
सा0प्र0: आचार्यश्री के विश्राम कम हुआ।
आ0प्र0: नहीं-नहीं। आपको नींद आ जाती है क्या?
सा0प्र0: कभी आ जाती है, कभी नहीं आती। एम्बुलेंस की आलोयणा दिलाने की कृपा करवाएँ।
आ0प्र0: एकमासिक छेद इसके लिए आता है। सा0प्र0 की 8 मार्च, 2022 को किए गए एम्बुलेंस प्रयोग के लिए एकमासिक छेद का प्रायश्चित दिया जा रहा है।
सा0प्र0: पूर्ण कृपा करवाई।
आ0प्र0: आपके यहाँ आने की समय की व्यवस्था बना देते हैं।
सा0प्र0: मैं वहाँ आ जाऊँ।
आ0प्र0: नहीं-नहीं। हालाँकि ये बात अच्छी है, इतनी शक्ति होनी चाहिए कि सा0प्र0 मेरे ठिकाने में पहले की तरह पधारते रहें। ये पधारने की भावना-कामना अच्छी है। जब तक और यदि वह स्थिति न हो, तब तक हम यहाँ आने का प्रयास रखें। सूर्योदय के तत्काल बाद आएँ या 15ः20 मिनिट बाद आएँ?
सा0प्र0: बाद में ही ठीक है।
आ0प्र0: सूर्योदय के बाद वर्तमान में अंदाज से 7 बजे के आसपास हम यहाँ पहुँच जाएँ। फिर साध्वियाँ-समणियाँ यहीं वंदना कर लें। 7-7ः30 तक यहीं रह जाएँ।
आ0प्र0: (संतों से) मेरे कमरे से इस कमरे की दूरी कितनी है?
संत: 100 मीटर
आ0प्र0: शाम को भी एक बार आ जाएँ।
सा0प्र0: गुरुदेव! इतनी कृपा नहीं करवाएँ। पहले से ही गुरु के उपकार से उऋण नहीं हुआ जा रहा, और कर्ज बढ़ता जा रहा है।
आ0प्र0: आप मेरे वहाँ (आ0प्र0 के प्रवास स्थल) पर पधारें, साध्वियों का काम करवाओ।
सा0प्र0: काम तो आ0प्र0 को सौंप दिया।
आ0प्र0: आप ये भावना रखवाएँ कि हम (साथ में) छापर चलें, फिर बायतू चलें, बम्बई चातुर्मास गुरुकुलवास में साथ में हो जाए, बाद में राजस्थान पधार जाएँ, उसके बाद आपको ज्यादा नहीं घुमाएँगे।
सा0प्र0: गुरुदेव ऐसी शक्ति दिलाएँ, मैं जल्दी से ठीक होकर आपके चरणों में रहूँ।
आ0प्र0: यात्रा करने के संदर्भ में आप ये भावना रखवाएँ।
सा0प्र0: मुझे साध्वियों ने बताया कि आ0श्री का इंडो स्टेडियम में कार्यक्रम होगा तब आप पधारें, संघ की प्रभावना होगी।
आ0प्र0: आप पधारें और उद्बोधन दिलाने का सोचें।
सा0प्र0: (सुमतिप्रभाजी की ओर देखते हुए) कुछ बिंदु इनको नोट करवाए हैं।
आ0प्र0: आप पधारें और स्वयं फरमाएँ। यात्रा में भी साथ पधारें और भाषण, उद्बोधन दिलाएँ। साध्वियों की बात भी आप करवाएँ। साध्वियों की पृच्छा में भी पधारें। तीन काम हैंµयात्रा, भाषण, काम में सहभागिता। हम तो यहाँ आ जाते हैं। पर आप हमारे ठिकाने पधारें और विराजें जब हो। ऐसे नहीं कि व्हील चेयर से पधारें, जैसे पहले पधारते थे, वैसे ही पधारें, जब हो।
सा0प्र0: थोड़ी कमजोरी ठीक हो जाए।
आ0प्र0: बाद में भाषण भी दिलाएँ।
सा0प्र0: भाषण की तो खास बात नहीं। बस आपकी सेवा हो जाए।
आ0प्र0: अब दोपहर में साढ़े तीन बजे वापस आ जाएँ। फिर यहीं रहें, सायं सा0प्र0 के पास फिर एक बार आ जाएँ, त्याग का अंतिम पानी यहीं पीकर फिर अपने स्थान पर चले जाएँ।
सा0प्र0: गुरुदेव आप इतनी शक्ति दिलवा रहे हैं, इतनी सुरक्षा (रिछपाल) करवा रहे हैं, तब मैं जल्दी ठीक हो जाऊँ।
गुरुदेव ने 3ः30 से 4ः10 तक उपासना करवाई, फिर सा0प्र0 के निकटतम स्थित अपने कमरे में पधार गए। सायं आहार के बाद लगभग 5ः30-6ः10 बजे तक सा0प्र0 को सेवा करवाने के पश्चात अपने प्रवास स्थल पर पधार गए। ....