तेरापंथ मेरापंथ है -नरेंद्र मोदी

गुरुवाणी/ केन्द्र

तेरापंथ मेरापंथ है -नरेंद्र मोदी

तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली, 27 मार्च, 2022

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहिंसा यात्रा की संपन्नता पर मंगलभावना अभिव्यक्त करते हुए कहा कि हमारा देश हजारों वर्षों से संतों-ऋषि-मुनियों, आचार्यों की महान परंपरा की धरती रहा है। ये परंपरा वैसी ही चलती रही है। हमारे यहाँ आचार्य वही बना है, जिसने चरैवेती-चरैवेति का मंत्र दिया है। चरैवेती के मंत्र को जीया है। श्वेतांबर तेरापंथ तो चरैवेती-चरैवेती की गतिशील महान परंपरा को नई ऊँचाई देतां आया है।
आचार्य भिक्षु ने शिथिलता के त्याग को ही आध्यात्मिक संकल्प बनाया था। आधुनिक समय में आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञजी से जो प्रारंभ हुई महान परंपरा आज आचार्य महाश्रमण जी के रूप में हम सबके सामने जीवंत है। वसुधैव कुटुम्बकम् के सूत्र को विस्तार दिया है। इस पद यात्रा ने देश के 20 राज्यों को एक विचार, एक प्रेरणा से जोड़ा है। वही अखंडता है, श्रेष्ठता है।
आपने श्रेष्ठ भारत के संकल्प को प्रसारित करने का काम किया है। मैं अहिंसा यात्रा समापन पर आचार्यश्री एवं उनके अनुयायियों को अनेक-अनेक बधाई देता हूँ। तेरापंथ श्वेतांबर के आचार्यों का मुझे हमेशा से ही विशेष स्नेह मिलता रहा है। इन सबका मैं कृपा पात्र रहा हूँ। मुझे तेरापंथ के आयोजनों से जुड़ने का सौभाग्य मिलता रहा है। इसलिए मैंने आचार्यों के बीच कहा थाµये तेरापंथ, मेरापंथ है।
आपकी यात्रा से एक सुखद संयोग मिला है कि आपकी यात्रा 2014 में दिल्ली के लालकिले से शुरू हुई थी। उस वर्ष देश ने भी एक नई यात्रा शुरू की थी। मैंने लालकिले से कहा था कि ये नए भारत की नई यात्रा है। अपनी यात्रा में भी वही संकल्प रहेµजन सेवा, जनकल्याण।
आपने देश के कोने-कोने में, जन-जन में नए भारत की इस नई ऊर्जा को अनुभव किया होगा। आपसे देश को प्रेरणा मिलेगी। अहिंसा यात्रा के दौरान लाखों लाख लोग नशामुक्ति संकल्प से जुड़े हैं, जो बहुत बड़ा अभियान है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी इसका महत्त्व है। स्वयं का साक्षात्कार होने से स्वयं में स्वयं के दर्शन होते हैं। तभी परमार्थ के कर्तव्यों का बोध होता है।
आजादी के अमृत अवसर पर देश सबसे ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र के लिए कर्तव्यों का आह्वान कर रहा है। सबके सहयोग से आगे बढ़ रहा है। सत्ता ही सब कुछ नहीं कर सकती है। राजसत्ता, समाजसत्ता के साथ अध्यात्म सत्ता भी आवश्यक है। मुझे आचार्य तुलसी के वो संकल्प याद आ रहे हैं कि पहले मैं मनुष्य हूँ बाद में तेरापंथ का आचार्य हूँ। सबके साथ से हमारा देश आगे बढ़ रहा है। संत-आचार्य देश को दिशा निर्देश दे रहे हैं। आप संतों का आशीर्वाद देश के संकल्पों को आगे बढ़ाएँगे।