अहिंसा यात्रा के सूत्रों को अपनाने से संपूर्ण विश्व सुखी रह सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अहिंसा यात्रा के सूत्रों को अपनाने से संपूर्ण विश्व सुखी रह सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

तीन देश - बीस राज्य - 18000 किलोमीटर पद यात्रा त्र अहिंसा यात्रा

तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली, 27 मार्च, 2022
9 नवंबर, 2014 को भारत की राजधानी दिल्ली के लालकिले से प्रारंभ हुई अहिंसा यात्रा नेपाल, भूटान एवं भारत के लगभग 20 राज्यों का स्पर्श करते हुए आज दिल्ली में समापन की ओर अग्रसर है।
अहिंसा यात्रा संपन्नता समारोह का आगाज अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से किया।
आचार्यश्री महाश्रमण जी एक ऐसे आचार्य हैं, जिन्होंने लगभग 51000 किमी से भी ज्यादा पाद-विहार कर जन-जन से संपर्क किया है। किसी जैनाचार्य द्वारा एक दिन में 47 किमी का प्रलंब विहार करना इतिहास की विरल घटना है, तो साध्वीप्रमुखाजी के स्वास्थ्य की प्रतिकूलताओं का आकलन करते हुए उन्हें दर्शन दिराने हेतु कितने लंबे-लंबे विहार कर पधारना भी नारी समाज का एक विशेष सम्मान है।
महामनीषी-महातपस्वी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि सब प्राणी जीना चाहते हैं, कोई मरना नहीं चाहता। किसी भी प्राणी की हत्या नहीं होनी चाहिए। अहिंसा ऐसा धर्म है जो चेतना विशुद्ध बनाने वाला है। अहिंसा ऐसा तत्त्व है, जो आदमी को शांति से जीने में सघन सहायता प्रदान करता है।
अहिंसा धर्म है। हम लोग साधु हैं, हमारे लिए तो अहिंसा जीवन का अंग बना हुआ
है, हर क्षण में अहिंसा का संरक्षण हो, ऐसा प्रयास हो।

हम लोगों ने अहिंसा यात्रा 9 नवंबर, 2014 को दिल्ली से शुरू की थी। 7 वर्षों से कुछ अधिक समय बाद यात्रा पुनः दिल्ली में आ गई है। आज अहिंसा पद यात्रा का संपन्नता का समारोह भी आयोजित हो रहा है। अहिंसा यात्रा के मुख्य तीन सूत्रµसद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को प्रसारित किया। तीनों सूत्रों को समझाकर सभी को संकल्प स्वीकार करवाए।
हम भारत और भारत से बाहर भी गए और वहाँ के लोगों को इन सूत्रों से अवगत करवाया। इन सूत्रों को अपनाने से समाज, राष्ट्र व विश्व सुखी रह सकता है। भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली है। हर राष्ट्र में भौतिक विकास के साथ आर्थिक विकास का होना आवश्यक है। इन दोनों विकास के साथ नैतिकता की चेतना का विकास भी जरूरी है। साथ में आध्यात्मिक विकास भी हो।
भारत एक संपदा संपन्न देश है, यहाँ अनेक संत, ग्रंथ और पंथ संपदा है। संत संपदा के साथ कितनी भाषाओं में नए-पुराने ग्रंथ हैं। अनेक पंथ हैं। संतों से सन्मति मिलती रहे। ग्रंथों से ज्ञान व पंथों से पथ दर्शन मिलता रहे। तो भारत का और अच्छा विकास हो सकता है।
परम पावन ने आगे फरमाया कि हमारे धर्मसंघ के प्रथम गुरु आचार्य भिक्षु हुए हैं। उन्होंने भी एक अभिनिष्क्रमण के रूप में यात्रा श्ुारू की थी। वह उनकी विशेष क्रांति के अभियान के रूप में यात्रा थी। हमारे उत्तरवर्ती आचार्यों ने भी अपने ढंग से यात्राएँ की हैं। परमपूज्य आचार्य तुलसी ने प्रलंभ यात्राएँ की थी। कोलकाता व दक्षिण की यात्रा की थी।
परमपूज्य आचार्य महाप्रज्ञजी ने भी विभिन्न प्रांतों की अहिंसा यात्रा की थी। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का मानो दिशा निर्देश व इंगित था कि यात्रा करनी है। कहाँ-कहाँ जाना है, नाम भी फरमाए थे। 4-1-2009 को लगभग सुजानगढ़ में फरमाया था। प्रांतों और विदेशों की यात्रा हो गई।

अहिंसा यात्रा संपन्नता समारोह में अहिंसा यात्रा प्रवक्ता मुनि कुमार श्रमण जी ने दिल्ली के लालकिले से प्रारंभ हुई अहिंसा यात्रा के विभिन्न संस्मरणों को साझा करते हुए वर्चुअल रूप से अहिंसा यात्रा की कहानी का चित्रांकन किया गया। जिसे विभिन्न चैनलों एवं लाइव प्रसारण के माध्यम से देश-विदेश से लाखों लोगों ने देखा। इसमें अहिंसा यात्रा के शुभारंभ से समापन तक का दृश्य प्रस्तुत किया गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अहिंसा यात्रा समापन समारोह पर कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी एक ऐसे संत हैं, जिन्होंने अहिंसा यात्रा के माध्यम से जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश दिया है। आपने नेपाल भूकंप एवं कोरोना काल में दृढ़ मनोबल का परिचय दिया है। मैं आचार्यश्री के स्वस्थ एवं दीर्घ आयुष्य की मंगलकामना करता हूँ।
अहिंसा यात्रा के हरियाणा प्रवास के दृश्यों को दर्शाया गया। दूसरी बार हरियाणा प्रवेश हुआ तब तो पूज्यप्रवर ने एक दिन में लगभग 47 किमी की यात्रा की थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने अपने भाव संदेश के माध्यम से उद्गाटित किए। ये अहिंसा यात्रा लोगों को सद्भावना, नैतिकता के प्रति जागृत करने मे सफल हुई है। मेरी आचार्यश्री महाश्रमण जी के प्रति मंगलकामना।

उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में अहिंसा यात्रा के दृश्यों को बताया गया। 2015 का मर्यादा महोत्सव कानपुर में आयोजित हुआ था। गुरुदेव सभी धर्मों के तीर्थ स्थलों में पधारे थे। यहाँ के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी मंगलभावना प्रेषित की। आचार्यश्री महाश्रमणजी हमारी प्राचीन धार्मिक परंपरा के एक संवाहक हैं।
बिहार के क्षेत्र को तो बार-बार अहिंसा यात्रा ने स्पर्श किया। नेपाल प्रवेश पर तो जन सैलाब इतना उमड़ा था कि कहा नहीं जा सकता। भूकंप आने पर भी आचार्यश्री ने दृढ़ मनोबल का परिचय दिया और पूर्व नियोजित नेपाल के शहर विराटनगर में 2015 का चतुर्मास सकुशल संपन्न किया था। उस समय नेपाल के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अनेक राजनेताओं से पूज्यप्रवर का संपर्क हुआ था। आचार्यश्री द्वारा नेपाल में चतुर्मास करना जैन धर्म के आचार्यों की विरल घटना है। उनसे पहले किसी जैनाचार्य ने विदेशों में चतुर्मास नहीं किया था। उस समय के नेपाल के राष्ट्रपति रामकरण यादव ने अपना मंगल संदेश भिजवाया है।

बिहार प्रवास में तो वहाँ के स्थानीय लोगों ने पूज्यप्रवर का नाम बदलकर बाबा के पास जाना है, यही उच्चारण करने लगे। गुरुदेव बिहार में बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उस प्रवास के समय बिहार सरकार ने शराबबंदी लागू की थी। कई नेताओं एवं धर्मगुरुओं से पूज्यप्रवर का संपर्क हुआ। अहिंसा यात्रा के प्रवेश पर बूचड़खाने भी बंद किए गए। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भी अपना मंगल संदेश प्रेषित किया है। इस यात्रा से स्वस्थ जीवनशैली, स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा। लोग अहिंसा यात्रा से प्रभावित हुए हैं। उस समय अणुव्रत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
भूटान के इतिहास की प्रथम घटना है कि किसी जैनाचार्य का भूटान में पदार्पण हुआ है। वहाँ के महंतों ने मंत्रों से पूज्यप्रवर का स्वागत किया था। वहाँ के नरेश का भी पूज्यप्रवर से संपर्क हुआ। यह प्रथम घटना भूटान की थी कि बौद्ध धर्म के सिवाय अन्य धर्मावलंबी जैनाचार्य का जुलूस सहित प्रवेश हुआ था। हजारों लोगों ने पूज्यप्रवर से अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किए थे।
पूज्यप्रवर की अहिंसा यात्रा उत्तर बंगाल, आसाम होते हुए नागालैंड पहुँची। जैन-जैनेत्तर लोगों के लिए ये यात्रा लाभकारी रही। श्वेतांबर आचार्य का नागालैंड पधारना भी नागालैंड की प्रथम घटना थी। नेपाल के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री अहिंसा यात्रा के संभागी बने। कालीम्पोंग भी आचार्यश्री पधारे। आसाम-नागालैंड के राज्यपाल जगदीश मुखी ने भी अपना मंगल संदेश प्रेषित किया है।

आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति, दिल्ली के अध्यक्ष महेंद्र कुमार नाहटा ने आगंतुक सभी राजनेताओं का भावभरा स्वागत किया एवं उनके पधारने पर आभार व्यक्त किया।
आसाम में भी वहाँ के स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। बांगलादेश सीमा तक पूज्यप्रवर पधारे। सभी धर्मावलंबियों ने पूज्यप्रवर का अभिवादन किया। 2016 का चातुर्मास गौहाटी में किया और अनेक राजनेताओं से पूज्यप्रवर का संपर्क हुआ। आसाम से अहिंसा यात्रा मेघालय पहुँची। आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वशर्मा ने अपना मंगल संदेश भिजवाया है। पूज्यप्रवर शिलांग पधारे और क्रिस्चियन समाज ने पूज्यप्रवर का पुरजोर स्वागत किया।
बांगलादेश बोर्डर चंगड़ाबांधा में बंगाली सेना को भी पूज्यप्रवर ने प्रतिबोध प्रदान करवाया। आसाम से पूज्यप्रवर पं0 बंगाल पधारे और 2017 का चतुर्मास कोलकाता में किया। पूज्यप्रवर कोलकाता पधारे तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पं0 बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूज्यप्रवर का भावभरा स्वागत किया।
वहाँ से पूज्यप्रवर झारखंड में पावन तीर्थ स्थल सम्मेदशिखर पधारे। सम्मेद शिखर 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है। नक्सली क्षेत्रों में भी पधारे। यहाँ पर भी कई राजनेता संपर्क में आए। कोयले की खादानों के पास भी पूज्यप्रवर पधारे। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैंस ने अपना मंगल संदेश प्रेषित किया।
पं0 बंगाल से पूज्यप्रवर उड़िसा पधारे। उदयगिरि-खंडगिरी पधारे। कटक में मर्यादा महोत्सव-2018 हुआ। वहाँ से पश्चिम उड़ीसा की यात्रा हुई। घर-घर लोगों ने अहिंसा यात्रा का स्वागत किया। उड़ीसा के मुख्यमंत्री आदि कई राजनेता व पुरी के महंत से पूज्यप्रवर का संपर्क हुआ। धर्मेद्र प्रधान ने अपनी मंगलभावना प्रेषित की। उड़ीसा के गवर्नर ने भी अपनी मंगलभावना प्रेषित की।
दक्षिण यात्रा का प्रवेश द्वार था आंध्र प्रदेश। भयंकर गर्मी पर प्रकृति भी महापुरुषों की सेवा करती है। दक्षिण यात्रा का समापन क्षेत्र भी आंध्र प्रदेश बना। आचार्यश्री के त्याग-तप ने अनेक लोगों को प्रभावित किया। उस समय के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपनी मंगलभावना प्रेषित की।

आंध्र प्रदेश से यात्रा तमिलनाडू पहुँची। वहाँ के लागों ने हिंदी में पूज्यप्रवर का प्रवचन भी सुना। तमिलनाडू के प्राय सभी क्षेत्र पूज्यप्रवर के चरण स्पर्श से धन्य हुए। मद्रास में चतुर्मास के पश्चात कोयंबटूर में मर्यादा महोत्सव व ईरोड में अक्षय तृतीया के समारोह आयोजित हुए। जगह-जगह सर्वधर्म सम्मेलन आयोजित हुए। अनेक राजनेता संपर्क में आए। उस समय के मुख्यमंत्री पलनी स्वामी ने अपनी मंगलभावना प्रेषित की।
पूज्यप्रवर केरल के क्षेत्रों को परसते हुए पांडीचेरी, कन्याकुमारी पधारे। पुदुचेरी के कई राजनेता संपर्क में आए। केरल में कई धर्मों के लोग संपर्क में आए। माँ आनंदमयी के आश्रम में पधारे। त्रिवेंद्र के पदमनाभ मंदिर में भी पधारे। कई जगह फादर और नन्स से संपर्क हुआ। कन्याकुमारी में तीन समुद्र के संयम स्थल एवं विवेकानंद केंद्र में पधारे। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी मंगलभावना प्रेषित की।
कन्याकुमारी में संतजनों का एक अद्भुत दृश्य दिखायाµपरम पावन का मुख्य मुनिप्रवर सहित साधुवृंदों के द्वारा पाद-प्रक्षालन।
पूज्यप्रवर कर्नाटक राज्य में पधारे। अनेक राजनेताओं से वार्तालाप हुआ। श्रीश्री रविशंकर आदि अनेक संत-महात्माओं से मिलन हुआ। विविध धर्म सम्मेलन आयोजित हुए। बैंगलोर में पूज्यप्रवर का 2019 का चतुर्मास हुआ। कर्नाटक से अहिंसा यात्रा महाराष्ट्र पधारे। पर कोरोना ने शोलापुर में अहिंसा यात्रा के चरण थाम दिए और शोलापुर में 72 दिन का प्रवास पूज्यप्रवर का हो गया।

कोरोना कुछ धीमा पड़ा और संकल्प के महाबली परम पावन ने हैदराबाद के लिए प्रस्थान किया और 2020 का चतुर्मास हैदराबाद में किया। वहाँ से पूज्यप्रवर आरएसएसस सरसंघ संचालक मोहन भागवत के निवेदन पर संघ मुख्यालय नागपुर पधारे। वहाँ अनेक स्थलों का अवलोकन किया। कई राजनेता संपर्क में आए।
वहाँ से पूज्यप्रवर छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्रों का स्पर्श करते हुए रायपुर पधारे। रायपुर से इंदौर का स्पर्श करते हुए पूज्यप्रवर 2021 का चतुर्मास करने हेतु भीलवाड़ा पधारे। छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के अनेक राजनेताओं से संपर्क हुआ। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेन बघेल ने भी अपनी मंगलभावना प्रेषित की है। उन्होंने कहा कि महाश्रमण जी पूरे विश्व के शांतिदूत हैं।
मध्य प्रदेश के 93 दिन के प्रवास में अनेक लोगों से संपर्क हुआ। कई अन्य संप्रदाय के साधु-साध्वियों से संपर्क हुआ। पूज्यप्रवर, चंबल, ताप्ति, नर्मदा आदि नदियों के किनारे भी पहुँचे। अनेक राजनेताओं से वार्तालाप हुआ।
राजस्थान के कई क्षेत्रों का पूज्यप्रवर ने स्पर्श किया। मेवाड़, ढंढाणा और थली प्रदेश में पूज्यप्रवर का प्रवास हुआ। यहाँ भी अनेक गणमान्य व राजनेताओं के साथ संगोष्ठियाँ हुई। आरएसएस के सरसंचालक तो लगभग हर वर्ष पूज्यप्रवर के दर्शन करने पधारते रहते हैं। अनेक धर्मावलंबियों ने पूज्यप्रवर से प्रेरणा पाथेय प्राप्त किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी मंगलभावना प्रेषित की है। आपने कहा कि राजस्थान मानवता का केंद्र बने।

पूज्यप्रवर ने इन दो कोमल चरणों से उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक प्रायः सभी क्षेत्रों को हर मौसम में स्पर्श करने का प्रयास किया है। पूज्यप्रवर के चरणों का मुनिवृंद की ओर से मुख्य मुनिप्रवर ने पाद-प्रक्षालन किया। मुनि ऋषभ कुमार जी ने सहयोग प्रदान किया। मुनि दिनेश कुमार जी ने संस्कृत में मंगलभावों का उच्चारण किया।
सरसंघ संचालक मोहन भागवत का भी मंगल संदेश का प्रसारण हुआ। भागवतजी तो प्रायः प्रतिवर्ष पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ आते रहते हैं। आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से सुदूर भारत देश व विदेश की यात्रा की है। लोगों को समझाने के लिए आपने सघन प्रयास किया है। हर वर्ग के लोगों ने अहिंसा यात्रा के संदेश को सुना है। हम सब आचार्यश्री का अनुकरण करें। आप तो हमारे लिए ईश्वर की देन हैं।
पूर्व मंत्री सत्यनारायण जटिया ने कहा कि अहिंसा यात्रा का गौरवपूर्ण समापन का अवसर है। महाश्रमणजी की अद्भुत यात्रा की मैं अनुमोदना करता हूँ। हमारे जीवन में संकल्पों का महत्त्व है। अहिंसा यात्रा तो महासंकल्प है। जैन धर्म तो अहिंसा का मार्ग है। संयम का मार्ग है। हमें इसी तरह की प्रेरणा देता है। आपने एक नए क्षितिज का निर्माण किया है।

इस यात्रा में कितने लोग साथ रहे हैं, कितनों का श्रम लगा है, योगदान-सेवा की है, मैं उन सभी की आध्यात्मिक मंगलकामना व उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। वे आगे भी सेवा देते रहें। पूज्य मंत्री मुनिश्री एवं साध्वीप्रमुखाजी का अहिंसा यात्रा के प्रारंभ में तो सान्निध्य मिला था, पर आज समापन समारोह में दोनों ही विभूतियाँ विद्यमान नहीं हैं। दोनों काल धर्म को प्राप्त हो गई। साध्वीप्रमुखाजी तो दिल्ली से दिल्ली तक लगभग साथ रही थीं।
इस यात्रा में मुख्य मुनि, मुख्य नियोजिकाजी, साध्वीवर्या आदि-आदि साधु-साध्वियाँ व समणियाँ साथ रहे हैं। कितने-कितने लोग भी साथ रहे हैं। आज के इस समापन समारोह में कितने विशिष्ट व्यक्तियों की साक्षात उपस्थिति रही है। यह भी एक गरिमा की बात है। नेपाल के पूर्व उप-राष्ट्रपतिजी का प्रारंभ और समापन में आ जाना विशिष्ट बात है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का भी भाषण हुआ, मोहन भागवत एवं कितने-कितने प्रांतों के जिम्मेदार व्यक्तियों का भी भाषण हुआ है।
अहिंसा यात्रा एक औपचारिक रूप में समापन की घोषणा हो जाए पर साधु का जीवन संयम यात्रा तो अहिंसा यात्रा ही रहनी चाहिए। अहिंसा का प्रचार-प्रसार भी हम लोग करते रहें। हमारा जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ अपने सदस्यों को तो सेवा देता रहे, दूसरों को भी यथासंभव अपनी सेवा देते रहें। हमारा संघ, हम आगे बढ़ते रहें। पूज्यप्रवर ने अहिंसा यात्रा की औपचारिक संपन्नता की घोषणा की।
इस अवसर पर साध्वीवर्याश्री सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने युवाचार्यश्री महाश्रमण जी के लिए कहा था कि महाश्रमण महातपस्वी है, महातपस्वी वह होता है जिसका श्रम प्रबल है, श्रमशील है, महाश्रमण में सहनशीलता है।
मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी ने कहा कि अहिंसा यात्रा के प्रणेता ने पाँव-पाँव चलकर गाँव-गाँव, नगर-नगर, शहर-शहर पहुँचकर शांति का संदेश दिया। इतिहास का पुनरावर्तन किया। पूर्व भारत की यात्रा के साथ दक्षिण यात्रा को क्रियान्वित कर दुर्लभ इतिहास का सृजन किया है।
मुनिवृंद द्वारा महाश्रमण गाथा का गीत द्वारा प्रस्तुति हुई।
मुख्य मुनिश्री महावीर कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी भारतीय ऋषि परंपरा के महान संवाहक हैं। आचार्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश दिया है।
दिल्ली तेरापंथ समाज के द्वारा गीत की प्रस्तुति हुई। अहिंसा यात्रा के अतीत को दर्शाया गया।
कार्यक्रम में महासभा के अध्यक्ष एवं अहिंसा यात्रा संयोजक मनसुखलाल सेठिया, महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र नाहटा, अमृतवाणी संयोजक सुखराज सेठिया ने अपनी भावनाएँ व्यक्त की।
मुनिवृंद, साध्वीवृंद एवं समणीवृंद द्वारा अहिंसा यात्रा प्रणेता के प्रति गीत द्वारा अपनी मंगलभावना अभिव्यक्त की।
कार्यक्रम का संचालन अहिंसा यात्रा प्रवक्ता मुनि कुमारश्रमणजी ने किया। पूज्यप्रवर के मंगलपाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ।