शासनमाता की पुण्याई

शासनमाता की पुण्याई

मुनि कमल कुमार

शासनमाता का स्मरण करो

तन-मन चिंतन का क्लेश हरो॥ध्रुव॥

 

तुलसी गुरु कर संयम पाया

नित बनी रही गुरु की छाया

इकरंगी चंगी को सुमरो॥1॥

 

प्रमुखा पद गुरु ने बक्साया

जन-जन का मानस हर्षाया

सद्गुण गागर को मत विसरो॥2॥

 

गुरु महाश्रमण युग में जुबली

खिल गई सभी की कली-कली

तप-जप करके भव सिंधु तरो॥3॥

 

त्रय गुरुओं की करुणा भारी

प्रतिपल रहती थी आभारी

गुण चुन-चुन जीवन कलश भरो॥4॥

 

शासनमाता की पुण्याई

गुरुवर सह यात्रा कर आई

चरणों में नत हो शीष धरो॥5॥

 

चलते-फिरते प्रस्थान किया

गण गणपति ने सम्मान दिया

तन्मय बन सब संगान करो

निश्‍चल मन ध्याकर विजय वरो॥6॥

 

लय : ओम पार्श्‍वप्रभु का ध्यान धरो