शासनमाता करूँ प्रणाम

शासनमाता करूँ प्रणाम

साध्वी प्रमिला कुमारी

शासनमाता करूँ प्रणाम, प्रमुखाश्रीजी ज्योतिर्धाम।
आस्था का अभिनव मुकाम, स्मरण करूँ मैं आठोयाम्॥1॥

अमल धवल व्यक्‍तित्व महान्, संघ धरोवर नव्य निधान।
चरण रहे प्रतिपल गतिमान् चारतीर्थ करता गुणगान्॥2॥

हम सबकी थी रक्षा ढाल, नारी जाति हुई निहाल।
क्यों आया व्याधि भूचाल, सका न कोई उसको टाल॥3॥

महाश्रमणी जी पर है नाज, श्रमणी गण की थी सरताज।
शक्‍तिशाली थे अल्फाज, नव विकास के नव अंदाज॥4॥

शक्‍ति स्वरूपा तुम्हें सलाम, पौरुष की गाथा प्रकाम।
ज्ञान चेतना थी अभिराम, तेरापथ में अक्षय नाम॥7॥

संघ मणि श्रद्धांजलि विनत भाव विनयांजलि
अर्पित वह गीतांजलि स्वीकृत हो भावांजलि॥8॥

लय : रघुपति राघव राजा राम---