शासनमाता से मिली प्रेरणा

शासनमाता से मिली प्रेरणा

क्या-क्या बताएँ, क्या-क्या सुनाएँ।

शासनमाता से पल-पल मिली प्रेरणाएँ॥

 

दिन जो बिताए उजले पल वो सुहाने

महाश्रमणी के साये में सुख के खजाने

अंगुली पकड़कर जिसने चलना सिखाया

पांखों में प्राण भरकर उड़ना सिखाया

वात्सल्य भावना के गीत गुनगुनाएँ॥

 

चाँद सितारे सूरज सारे उगेंगे

पंछी उड़ेंगे हर दिन फूल खिलेंगे

कल-कल बहेगी नदियाँ मौसमी हवाएँ

उमड़ेंगी बादलों की घोर घटाएँ

प्रकृति के आइने में देख मुस्कुराएँ॥

 

हस्तावलंबन बिन चली ना कदम भर

कसकर कलाई पकड़ी चिकनी डगर पर

अब क्या हुआ कर से जो दामन छुड़ाया

लंबा सफर अकेले पार क्यूँ कराया

सुख सन्‍निधि शीतल छाया साथ निभाएँ॥

 

आराध्य देव द‍ृष्टि आराधना कर

ज्ञान वर्धमान करके श्रुत साधना कर

वर्षों प्रवास गुरुकुलवास में किया था

श्रीचरणों का अद्भुत अमृत पिया था

शाश्‍वत सुख वरण करो तुम, शुभ भावनाएँ॥