उपकृत है संसार

उपकृत है संसार

शासनमाता पाई साता संघ बना गुलजार

तेरे बलिदानों से उपकृत है संसार॥

 

तुलसी की पैनी द‍ृष्टि ने है परखा

एक-एक साध्वी को तुमने माना सरखा

कनकप्रभा कृति गुरु तुलसी की बनी श्रमणी शृंगार॥

 

तीन-तीन गुरुओं की अनुकंपा पाई

असाधारण प्रमुखा जी गण में छाई

कार्य-कुशलता से इस गण को पहुँचाया उस पार॥

 

अमृत महोत्सव का स्वर्णिम अवसर आया

शासन माता संबोधन तुमने पाया

महाश्रमण गुरुवर की करुणा रही सदा अनपार॥

 

अंत समय में गुरु सन्‍निधि तुमने पाई

घोर वेदना शांत भाव से सह पाई

महाश्रमण की चरण शरण में कया है बेड़ा पार।

भूल कभी नहीं पाएँगे हम जो-जो किए उपकार॥

 

लय : बार-बार तोहे---