बाँटा जग को अमर उजाला

बाँटा जग को अमर उजाला

शासन माता सदा अमर हैं गूंजे मुख-मुख पर नारा।

तेरापंथगण गणनांगन में दीप्तिमान शाश्‍वत ध्रवतारा॥

 

गुरुवर तुलसी ने निजकर से, बोया बीज बना फलवान।

बरगद सम छतनार बना वो, साधक विहगों का आस्थान।

आध्यात्मिक आलोक अनुत्तर, बाँटा जग को अमर उजारा॥

 

साध्वीगण को आश्‍वासन, अपनापन तुमसे सदा मिला।

स्नेहिल सिंचन पाकर तुमसे, कितनों का जीवन बदला।

डगमग-डगमग करते अनगिन, कदमों का तुम बनी सहारा॥

 

है आदर्श हमारे सम्मुख, तेरे जीवन की पोथी।

युगों-युगों तक हम पाएंगे, तुमसे आध्यात्मिक ज्योति।

पौरुष जिसकी लहर-लहर में, निर्मल-निश्छल गंगाधारा॥

 

गुरुवरत्रय से आजीवन पाई है, तुमने कृपा आपार।

ज्योतिर्मय गुरुवर सन्‍निधि में, जोड़ा निज आत्मा से तार।

अथ से इति तक गुरुभक्‍ति में, लीन रहा हर पोर तुम्हारा॥

 

लय : प्रभो! तुम्हारे पावन----