महिमा माप न पावाँ

महिमा माप न पावाँ

श्रद्धा रा म्है फूल चढावां, सतीशेखरा रा गुण गावाँ,

जय धुँकार लगावाँ, शासनमाता री,

जय हो, जय हो, जय हो शासन मातारी॥

॥ स्थाईपद॥

 

साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी, अनशन करके जीती बाजी,

मूरत नित उठ ध्यावाँ, शासन---॥1॥

 

तीन गुराँ री सेवा साधी, बाँरी द‍ृष्टि सदा आराधी,

बलिहारी म्हैं जावाँ, शासन---॥2॥

 

कितां-कितां रा जन्म सुधारया, पथ दर्शन दे कष्ट निवारया,

करुणा नहीं भुलावाँ, शासन---॥3॥

 

अगणित विशेषतावाँ थांरी, जीवन मानो गुण फुलवारी,

म्हैं भी कुछ अपनावाँ, शासन---॥4॥

 

महाश्रमण सान्‍निध्य दिरायो, चिहुं दिशि यश झंडो फहरायो,

(श्री गुरुवर) महिमा माप न पावाँ, शासन---॥5॥

 

लय : गंगा मानो खुद चल आई---