संघ प्रभावक कार्यक्रमों  का आयोजन

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संघ प्रभावक कार्यक्रमों का आयोजन

तिरुकलीकुंड्रम
साध्वी श्री डॉ0 मंगलप्रज्ञाजी का तिरुवन्‍नामलई से तिंडिवनम् स्पर्श करते हुए चेन्‍नई की ओर विहार करते हुए तिरुकलीकुण्ड्रम में षट्दिवसीय प्रवास रहा। इस प्रवास के दौरान संघप्रभावक विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। जैन भवन में प्रवास हेतु पधारे साध्वीश्री जी के स्वागत एवं अभिनन्दन कार्यक्रम में समस्त जैन समाज के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। प्रमुख श्रावक चम्पालाल दुगड़, सभाध्यक्ष बाबूलाल खाटेड़ आदि ने स्वागत किया। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि मनुष्यो! मानव जीवन को मुक्‍त करो, मूर्च्छा-मोह-ममता की नींद से। अणुव्रत अभियान प्रवर्तन दिवस अणुव्रत काव्यधारा के रूप में कवि सम्मेलन रखा गया। सुनीता राय सोनी, लता बरलोटा, अणुव्रत के स्थानीय संयोजक ताराचंद जी बरलोटा, विमला दुगड़ एवं साध्वियों ने कविताओं की प्रस्तुति
दी। इस अवसर पर साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि अणुव्रत है विश्‍वशांति का अमृत रस। तेरापंथ महिला मंडल पक्षी तीर्थ के तत्त्वावधान में ‘प्रेक्षाध्यान : स्वास्थ्य विज्ञान’ कार्यशाला एवं ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ का आयोजन हुआ। लता बरलोटा, साध्वी सिद्धियशाजी, साध्वी चैतन्य प्रभाजी ने विचारों की प्रस्तुति दी। बहनों ने साध्वीप्रमुखाश्री सरदारांजी की जीवनी की प्रस्तुति दी। साध्वी राजुलप्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया। प्रेक्षाध्यान विषय पर साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कई जीवनोपयोगी प्रयोग करवाए। तेममं के तत्त्वावधान में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का भी आयोजन हुआ। इस अवसर पर साध्वीवृंद ने गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी शौर्यप्रभाजी एवं साध्वी सिद्धियशा जी ने विचारों की प्रस्तुति दी। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि परिवार के कारखाने में होता है आनंद का उत्पादन। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी के दर्शनार्थ पधारे पारिवारिक जनों ने रोचक प्रस्तुतियाँ दी। कन्याओं, किशोरों एवं ज्ञानार्थी बच्चों के लिए संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन किया गया। किशोरों एवं कन्याओं ने संगठित रूप से संघ भक्‍ति से युक्त शौर्य भरा गीत प्रस्तुत किया। बच्चों ने ऐतिहासिक बाल किरदारों की भूमिका अदा करते हुए ‘आत्मार्थी बन जाएँ हम’ की रोचक प्रस्तुति दी। योग, स्मृति विकास, लिव विध विस्डम आदि विषयों पर कक्षाओं का संचालन किया गया। युवा वर्ग ने प्रश्‍नोत्तरपूर्वक भावी जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त किया। प्रतिदिन पाँचों समय श्रावक उपस्थित रहते। मध्याह्न में बड़ी संख्या में बहनें तत्वज्ञान आदि सीखने आती। धार्मिक विकास के लिए जिज्ञासु अनेक भाई-बहनों ने मंगलभावना समारोह में अपने विचार गीत, अनुभव आदि प्रस्तुत किए। शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री के स्वास्थ्य हेतु जप का क्रम भी चला।