कारागृह सुधारगृह बने

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कारागृह सुधारगृह बने

भुवनेश्‍वर
मुनि जिनेश कुमार जी का भुवनेश्‍वर स्थित कारागृह में कैदियों के मध्य प्रवचन हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि अपराध जिंदगी की सबसे बड़ी विस्फोटक सामग्री है। अपराध जीवन को विनाशक बना देता है। मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य गलती का पुतलना है। गलती होना स्वाभाविक है। गलती को स्वीकार करने वाला व्यक्‍ति अपने हृदय को सरल कर लेता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि जेल मंदिर है, कारागृह सुधार गृह है। व्यक्‍ति को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। मैंने जो गलतियाँ की हैं अब भविष्य में नहीं करूँगा। जप, तप, स्वाध्याय, ध्यान, सत्संगत साधु संपर्क में रहने से व्यक्‍ति कुसंगति से अपराध से बच जाता है। सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्‍ति की साधना करें। अणुव्रत प्रेक्षाध्यान, अहिंसा यात्रा की जानकारी देते हुए मुनिश्री ने ध्यान के प्रयोग करवाए। 5 कैदियों ने नशे का त्याग किया। 10-15 व्यक्‍तियों ने कहा कि हम भविष्य में अपराध नहीं करेंगे। जेलर सत्यप्रकाश साई ने मुनिजनों का स्वागत करते हुए विचार रखे। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने विचार रखे। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत प्रस्तुत किया। मंत्री पारस सुराणा ने मुनिश्री का परिचय देते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर दो सह-जेलर व संजय जैन, जितेंद्र बैद आदि उपस्थित थे।