अभिनंदन शत-शत बार

अभिनंदन शत-शत बार

साध्वी विनयप्रभा 

संघ शिरोमणि, ममतामयी माँ का करती अभिनंदन शत-शत बार।
जीओ जीओ युग-युग जीओ, जन-जन की है यही पुकार॥अह॥ जीओ----

माँ का विरल व्यक्‍तित्व अनुत्तर साधना, किन उपमाओं से करूँ उपमित।
असाधारण साध्वीप्रमुखा बन, महाश्रमण शासना को कर रही सुशोभित।
स्वर्ण जयंति चयन दिवस की, श्रद्धासिक्‍त वंदन शत-शत बार॥जीओ।----

पंचनिष्ठामृत देख तुम्हारा, गुरु तुलसी ने चयन किया, भाग्य हमारा।
मल्लिनाथवत् माँ पाकर, चमक उठा यह संघ सितारा।
चिंतामणि चाँदनी का करती हूँ, अभिवंदन शत-शत बार॥जीओ----

अनुपम है कर्तृत्व-व्यक्‍तित्व तुम्हारा, नारी जग की हो अद्भुत शान।
सात प्रमुखा की श्री संपदा से, अलौकिक बनी है माँ की पहचान।
ममता वत्सलता का दिया पोषण, भूल न पाऊँ माँ का उपकार॥ जीओ----