दो दिवसीय पे्रक्षाध्यान शिविर का आयोजन

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दो दिवसीय पे्रक्षाध्यान शिविर का आयोजन

सिरकाली (तमिलनाडु)
आज दुनिया प्रगति के अमाप्य सपने देख रही है, हर व्यक्‍ति विकास के अनछूए पहलुओं को छूना चाहता है। इस पर लक्ष्य प्राप्ति की भाग-दौड़ ने उसके मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक रूप को अत्यधिक प्रभावित किया है। यह विचार एस0एस जैन संघ, सिरकाली में तेरापंथ सभा द्वारा दो दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के उद्घाटन समारोह में मुनि अर्हत कुमार जी ने कहे। मुनिश्री ने आगे कहा कि आज विज्ञान ने कितनी क्रांति कर दिखाई है। अपने घर की चार दीवारों से निकल, आज का इंसान पाँच महाद्वीपों की यात्रा करने लगा है। जिस हिसाब से साइंस टेक्नोलॉजी बढ़ रही है, उससे लगता है संसार का बाह्य ढाँचा काफी बदल जाएगा। समस्याओं से आवर्त इस संसार को समाधान की एक नई राह दिखाने के लिए परमपूज्य गुरुदेवश्री महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान का आविष्कार किया। प्रेक्षाध्यान वह समरीन है, जो हमें अनंत सुखों की गहराई में ले जाता है। प्रेक्षाध्यान का अर्थ है स्वयं की प्रेक्षा, आत्मा का सूक्ष्म निरीक्षण। प्रेक्षाध्यान स्वयं को स्वयं से जोड़ने का एक सेतु है। हमें प्रेक्षाध्यान के आयामों से जुड़कर जीवन के निर्माण के साथ आत्मा का कल्याण करना चाहिए।
मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि जो नियमित करता है प्रेक्षाध्यान, आत्मा भिन्‍न शरीर भिन्‍न का होता है भान, उसकी आत्मा में जग जाता है ज्ञान, कर्म रूपी ईंधन को जला वह बन जाता है भगवान। प्रेक्षाध्यान के अनेकों प्रयोग व रोचक प्रतियोगिताएँ करवाई, जिससे साधकों में रुचि व उत्साह बढ़ गया। बाल संत जयदीप कुमार जी ने कहा कि ध्यान वह दूरबीन है, जो परमात्मा का दर्शन कराता है एवं आत्मा से आत्मा का स्पर्श कराता है। हमें ध्यान का नित्य प्रयोग करना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत मुनिश्री द्वारा नवकार महामंत्र से हुई। तत्पश्‍चात महिला मंडल ने प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया। युवक रत्न ज्ञानचंद आंचलिया ने स्वागत भाषण में कहागुरुदेव की महत्ती कृपा से हमें मुनिश्री का मंगल सान्‍निध्य प्राप्त हुआ। मुनिश्री की प्रेरणा से प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन हुआ है। आभार ज्ञापन स्थानकवासी समाज के मंत्री धनराज चौधरी ने किया। प्रेक्षाध्यान शिविर में तेरापंथ धर्मसंघ, स्थानकवासी समाज एवं सर्वसमाज के लगभग 150 लोग लाभान्वित हो रहे हैं।