अभिनंदन शत-शत बार

अभिनंदन शत-शत बार

साध्वी राकेशकुमारी

भावां रा म्हैं थाल सजावां, अक्षत कुंकुम केसर ल्यावां
मंगल तिलक लगावांजी, अमृत मोच्छव मनावांजी

गण उपवन में छाई खुशियाँ आई आज दीवाली
कल्पतरु आंगण लहरायो खिल रही केसर क्यारी
गोल्डन जुबली उत्सव आयो, आनंद रो दरियो छलकायो।

सागर ज्यूँ गंभीर धीर थे, मेरू सी ऊँचाई
दशों दिशाओं में गूँजे हैं थांरी यश शहनाई
महिमा भूमंडल महकावै, निरखण चांद सितारा आवै।

व्यवहार कुशल श्रमनिष्ठा थांरी समर्पण सेवाभाव
श्रमणीगण परआत्मीयभाव स्यूँ छोड्यो अमर प्रभाव
उजला मौत्यां स्यूँ बधावां, थांरी पदरज शीष चढ़ावां।

त्रय गुरु री आणा आराधी दिलमें स्थान जमायो
देश विदेश यात्रा करने नव इतिहास रचायो (बणायो)
आभामंडल तेज निरालो, अद्भुत लेखण कला निहारो।

श्रमणी समाज रो कर संपोषण खोल्यां विकास रा द्वार
चंदेरी री हीरकणी रो चमके दिव्य दिदार
तुलसी वाङ्मय लेखनकार, सुण चमके विद्वद परिवार।

युगों-युगों रहो स्वस्थ निरामय मंगल कामना म्हारी
अमृत मोच्छव चंदेरी में महाश्रमण जयकारी
देवे राकेश आज बधाई, वरो विजय सदा वरदाई।

लय : नीले घोड़े रा असवार---