रूपांतरण शिल्पशाला

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रूपांतरण शिल्पशाला

भीलवाड़ा
अभातेममं के तत्त्वावधान में तेममं द्वारा मुनि कुलदीप कुमार जी, मुनि मुकुल कुमार जी के सान्‍निध्य में रूपांतरण कार्यशाला तेरापंथ भवन नागौरी गार्डन में आयोजित की गई। मुनि कुलदीप कुमार जी ने कहा कि जैन आगम में कषाय अर्थात् क्रोध, मान, माया और लोभ के क्षीण होते ही व्यक्‍ति मुक्‍ति को प्राप्त हो जाता है। साधना का मूल आधार शरीर है और शरीर आत्मा से युक्‍त है, आत्मा अनंतकाल से कषाय से जुड़ी हुई है। अनुकूल-प्रतिकूल हर परिस्थिति में क्रिया की प्रतिक्रिया न करें। साधना का क्रम भले ही मंद गति से हो पर निरंतर अभ्यास से वीतरागता और आत्म साधना की ओर हम आगे बढ़ सकते हैं। इस विषय को भाषण के रूप में नहीं अपितु आचरण में लाने का प्रयास हो। मुनि मुकुल कुमार जी ने कहा कि हमारे जीवन भ्रमण, स्वभाव से विभाव की ओर ले जाने वाला और हमारी आत्मा को प्रताड़ित करने वाला तत्त्व हैकषाय। हमारे शरीर में क्रोध सिर, मान गर्दन, माया पेट में, परंतु लोभ पूरे शरीर में रहता है। मुनिश्री ने कषाय क्षीणता और क्रोध शमन के सहज-सरल छोटे-छोटे प्रायोगिक प्रयोग बताए, जिससे विचार शांत और स्थिर होते हैं। केवल धर्म उपासना करने से कोई लाभ नहीं होता है। जरूरत है जीवन शक्‍ति, प्राण शक्‍ति को बढ़ाकर कषाय पर विजय प्राप्त की जाए जिससे जीवन को सुंदर, निरोगी और उन्‍नत बनाया जा सकता है। मीडिया प्रभारी नीलम लोढ़ा ने बताया कि महिला मंडल अध्यक्षा ने स्वागत वक्‍तव्य दिया। मंगलाचरण प्रज्ञा जोन की बहनों ने किया। कार्यक्रम संचालन स्नेहलता झाबक ने किया। आभार मंत्री रेणु चोरड़िया ने किया।