एक असाधारण व्यक्‍तित्व महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाश्री

एक असाधारण व्यक्‍तित्व महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाश्री

वत्सलता की वारिणी पल-पल उजाला बाँटने वाली मातृहृदया असाधारण व्यक्‍तित्व के धनी साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा का जन्म आचार्य तुलसी की जन्म धरा लाडनूं में हुआ। शैशव अवस्था को पूर्ण कर अपने वैराग्य के अंकुर को प्रस्फुटित किया। केलवा तेरापंथ धर्मसंघ की जन्मभूमि में आपकी दीक्षा हुई। अध्ययन अध्यापन की बढ़ती हुई रुचि को आपने विस्तार दिया। वि0सं0 2015 में 35 दिनों में 35 कविताओं की रचना कर आप अपने एक नए कीर्तिमान का सृजन किया।
असंभव कुछ भी नहीं, इच्छा शक्‍ति प्रबल हो।
मिट जाती सारी दुविधाएँ, ऊँचा अगर मनोबल हो॥
वर्तमान में तेरापंथ धर्मसंघ की आठवीं साध्वीप्रमुखा के पद को सुशोभित कर रही हैं। आपका चयन दिवस अमृत महोत्सव के रूप में आचार्य महाश्रमण के सान्‍निध्य में जनवरी के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने वाला है। आपके गुणों को शब्दों का परिधान पहनाना सूर्य को दीपक दिखाना मात्र होगा, आपकी ज्ञान पिपासा अगाध है।
आपकी अर्पमत्तता, सृजनधर्मिता, श्रद्धा और आचार की उज्ज्वलता, स्वाध्यायशीलता, कर्मठता, जागरूकता आदि गुण आपके विशिष्ट व्यक्‍तित्व को उजागर करने वाले हैं। आप एक साहित्यकार, कवियित्री एवं प्रवक्‍ता ही नहीं बल्कि कुशल लेखिका एवं संपादिका भी हैं। आगम, व्याकरण, न्याय-दर्शन, इतिहास, काव्य आदि विषयों का अध्ययन करते हुए आपने योग्यतम परीक्षाएँ संपन्‍न की हैं, विशेष योग्यता के लिए आचार्यश्री तुलसी ने आपको पुरस्कृत किया। संस्कृत, प्राकृत की हस्तलिखित पत्रिकाओं पराग, तरंगिणी, नीरज आदि के साथ जुड़कर ज्ञान के क्षेत्र में विशेष अवगाहन किया। विक्रम संवत् 2022 में आगम-संपादन के महान कार्य में आपकी सहभागिता आपके बुद्धि कौशल का ही सुपरिणाम है।
गुरु तुलसी की दिव्य द‍ृष्टि का, सारा जग है आभारी।
जिनके कुशलकारों ने सिरजी, मूरत कितनी मनहारी॥
पुरुषार्थ का आधार आत्मविश्‍वास : आपने ज्ञान की भक्‍ति है, पुरुषार्थ की शक्‍ति है और आत्म-विश्‍वास के प्रति अनुरक्‍ति है। इन तीनों की समन्विति ही आपके कठिन-से-कठिन कार्य को सहजता और सुगमता से पूर्ण कर देती है। आपकी कविताओं में गांभीर्य है। अनुप्रास का भी अच्छा योग है। आपके द‍ृढ़ आत्मविश्‍वास ने आपके पुरुषार्थ को संचित कर आपके जीवन को ऊर्ध्वगामी बना दिया।
सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति : ‘सहन करो सफल बनो’ आचार्य महाप्रज्ञ के द्वारा निर्दिष्ट इस सूत्र को आपने अपने जीवन में चरितार्थ कर लिया। चाहे सब्जी में मिर्ची ज्यादा हो, चाहे सब्जी खारी हो, अपने आहार को ग्रहण किया। आपने अपनी समता अखंड रखी एवं गुरुदेव द्वारा प्रदत्त उपालंभ को भी भावी जीवन के निर्माण का बहुत बड़ा आधार मानकर उसे सहन किया और गुरुद‍ृष्टि में सफलता हासिल की। इस प्रकार आपका जीवन गुणों का समवाय है। लक्ष्य के प्रति गहरी निष्ठा, आपके धैर्य को उजागर करती है। नारी की कर्मजा शक्‍ति को आपने जीवंत कर समाज के सामने रख दिया।
तम को हटाकर नया प्रकाश किया तुमने।
नारी शक्‍ति को नया आयाम दिया तुमने॥
इस प्रकार मेरी द‍ृष्टि में आपका जीवन गुना-सुमनो का एक बगीचा है। जहाँ से अनेक सौरभमय पुष्पों की सुवास सारे जहाँ को सुवासित कर रही है और हमेशा करती रहे। इसी मंगलभावना से भावित अमृत महोत्सव आपका चयन-दिवस हम सदा मनाती रहें और अपने जीवन को भी सुरभिमय बनाएँ, इसी शुभाषंसा के साथ मंगलकामना।
अभिनंदन! शत-शत वंदन।
तेरापंथ महिला मंडल, लाडनूं