मोक्ष की साधना के लिए नौ तत्त्वों का ज्ञान अपेक्षित : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मोक्ष की साधना के लिए नौ तत्त्वों का ज्ञान अपेक्षित : आचार्यश्री महाश्रमण

जैन विश्‍व भारती, 19 जनवरी, 2022
तेरापंथ धर्मसंघ की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध चंदेरी की पावन भूमि में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी का लाडनूं नगरपालिका द्वारा नागरिक अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में विभिन्‍न संस्थाओं एवं संगठनों ने अभिनंदन पत्र समर्पित कर आचार्यप्रवर से आशीर्वाद ग्रहण किया।
मुख्य प्रवचन में आचार्यप्रवर ने मंगल देशना देते हुए फरमाया कि व्यक्‍ति अगर सोचे कि वह कौन है तो इसका जवाब होगा कि वह आत्मा है, जीव है। पर यह शरीर तो अजीव है। आत्मा को न देखा जा सकता है न स्पर्श किया जा सकता है। इसे छेदा या काटा भी नहीं जा सकता है। आत्मा तो अमूर्त है जीव आत्मा और अजीव शरीर का संयोग कराने वाला तत्त्व बंध कहलाता है। बंध पाप कर्मों का भी हो सकती है और पुण्य कर्मों का भी हो सकता है। पुण्य और पाप कर्मों का बंध होने का कारण आश्रव होता है जो कर्मों को आकर्षित करता है। इसके कारण ही आत्मा और शरीर का संयोग होता है। इन कर्मों से पीछा छुड़ाने का उपाय संवर है। संवर की साधना से कर्मों का बंध नहीं होता है। यानी पुण्य-पाप का बंध नहीं होता है। जितनी मात्रा में संवर होगा उतने ही पाप का बंध रुक जाएगा और पुराने पाप रूपी कर्मों को तोड़ने का उपाय है निर्जरा। निर्जरा से सारे कर्म आत्मा से झड़ जाते हैं। सभी कर्म झड़ जाने पर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। 
मोक्ष अवस्था में न बंध होगा न पुण्य पाप। जिससे संवर और निर्जरा भी अनपेक्षित हो जाएगी। मोक्ष प्राप्त होने के बाद केवल मुक्‍त अवस्था में आत्मा रहेगी अर्थात् कर्म मुक्‍त आत्मा मोक्ष का वर्ण करती है। इस प्रकार जैनागमों में नौ तत्त्व अर्थात जीव-अजीव, पुण्य-पाप, आश्रम-संवर, निर्जरा बंध और मोक्ष का वर्णन दिया गया है। इन्हीं के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। सम्यक्त्व से बड़ा कोई रत्न नहीं होता है। इससे बड़ा कोई मित्र, भाई या बंधु नहीं होता है। इस प्रकार व्यक्‍ति को सम्यक्त्व की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास करना चाहिए। साध्वी सुभप्रभाजी, साध्वी प्रसमरतिजी, साध्वी विशदप्रज्ञा जी, साध्वी संघप्रभा जी द्वारा आचार्यप्रवर की अभिवंदना में गीतिका प्रस्तुत की गई। साध्वी पुण्ययशा जी ने अपनी अभिव्यक्‍ति दी। तत्पश्‍चात लाडनूं नगर पालिका द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बरमेचा, राजेश दुगड़, सुशीला बोकाड़िया, अणुव्रत समिति अध्यक्ष शांतिलाल बैद, तेयुप कोषाध्यक्ष सुमित मोदी, टीपीएफ से मन्‍नालाल बै, दिगंबर समाज से चांदकपुर सेठी, ओसवाल पंचायत से सरपंच नरेंद्र सिंह भुतोड़िया, राजेश विद्रोही, शहर के काजी मोहम्मद मदनी, नगर पालिका लाडनूं के उपाध्यक्ष मुकेश खिंची ने पूज्यप्रवर का अभिनंदन किया। लाडनूं क्षेत्र के विधायक मुकेश भाकर ने आचार्यप्रवर के दर्शन कर कहा कि मैं स्वयं को आपके दर्शन से भाग्यशाली समझता हूँ। आचार्यप्रवर की अभिवंदना में ओसवाल पंचायत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, तेयुप, सकल दिगंबर समाज, भारत विकास परिषद, लाडनूं चेंबर ऑफ कॉमर्स, रामानंद गौशाला, महाराणा प्रताप फाउंडेशन, जाट महासभा, सैनिक क्षत्रीय सभा संस्थान, मैढ़ स्वर्णकार समाज सेवा समिति, राजस्थान शिक्षक संघ, विप्र फाउंडेशन, आवामी इतेहाद मजलिस नूर फाउंडेशन, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिषद, अग्रवाल सभा, बार एसोसिएशन, प्रजापति समाज सेवा समिति, विश्‍व हिंदू परिषद, सरपंच संघ, महेश्‍वरी समाज, जांगिड़ विकास समिति, दुर्गा दल आदि संगठनों में अभिनंदन पत्र समर्पित किए। अभिनंदन समारोह का संचालन वीरेंद्र भाटी ने किया।