संघ में नाम कमायो है 

संघ में नाम कमायो है 

साध्वी समताश्री 

धन्य-धन्य साध्वी करुणाश्री भाग सवायो है।
श्री तुलसी रै कर कमलां स्यूं, संयम रत्न मिल्यो।
महाप्रज्ञ री शुभ सन्‍निधि में, करुणा सुमन खिल्यो।
महाश्रमण सेवा फल पायो है॥

मला जपता भजनानन्दी, अपणै मैं रहता।
सदा साध में रखता माला, जाप करो कहता।
शक्‍ति रो श्रोत बहायो है॥

सगलां नै देता जीकारो, मधुर मधुर भाषा।
बालक बूढ़ा युवक युवतियाँ, बच्चा भी खाशा।
हृदय दरियो लहरायो है॥

आणै बालां नै कुछ देता, पूरो मंगल पाठ।
साधु सतियाँ रो मेलो बो, घणो सुहातो ठाट।
भक्‍ति रो जोश दिखायो है॥

मैं तो पूरी स्वस्थ करो मत, चिंता थे म्हारी।
भीतर री दुनियां है उजली, चंदन री क्यारी।
ज्योति रो दीप जलायो है॥

बिना गिण्या नवकार मुंह में जल नहीं भरता हा।
पछै दवाई खाणो पीणो, सब कुछ करता हा।
मंत्र बल तेज बढ़ायो है॥

अठावन वर्षां तक साता घणी पुगाई ही।
कान, मान रो आदर करता राजुल मन भाई।
पुण्य पादप लहरायो है॥

वमन हुवै चाहे जीदोरो, पेट दर्द भारी।
फिर भी नहीं घबराया सतिवर, हद हिम्मत धारी।
सूत्र समता रो पायो है॥

सदा एक सो चेहरो रहणो, बड़ी साधना है।
आत्मालोचन स्यूं निर्मलता, रही भावना है।
मुदित रहणो सिखलायो है॥

साध्वीप्रमुखाजी री बातां, घणी सुहाती ही।
समय समय संदेश पत्र पढ़ मन हरसाती ही।
अमृत रसपान करायो है॥

दर्शण करणै री अभिलाषा, घणी रही मन में।
ज्येष्ठ शुक्ल पांचम नै उतर्या, अनशन रै रण में।
मनोरथ तीजो पायो है॥

लय : तावड़ा धीमो---