गण मिल गाएँ मंगल

गण मिल गाएँ मंगल

नचिकेता मुनि आदित्य कुमार

संयम समता चारित्र अमल ज्योतित आभामंडल।
माँ सी ममता, पुरुषार्थ प्रबल, साध्वीप्रमुखा निर्मल,
तुम कनकप्रभा उज्ज्वल॥

हर कला समाहित तुममें, सार्थक अभिधान तुम्हारा,
कहलाई कनकप्रभा तुम संयम ने तुम्हें निखारा
संकल्प अटल, नेतृत्व सबल, उपकृत सति संघ धवल॥

अनुशासित चित्त तुम्हारा, गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण,
सृजनात्मक श्रम के द्वारा, तुलसी वाणी संपादन
लेखन कौशल वक्‍तृत्व विमल, खिलते विचार उत्पल॥

अमृत उत्सव की बेला, पूर्णाहुति पाँच दशक की,
लाडनूं जन्मभूमि में, सन्‍निधि श्री महाश्रमण की।
यह दुर्लभ पल, खुशियाँ अविरल, गण मिल गाएँ मंगल॥

लय : आ चल के तुझे----