अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-25 : संयमी मरकर किस गति में जाते हैं?
उत्तर : संयमी मरकर देवगति में उसमें भी मात्र वैमानिक देवलोक में ही जाते हैं या मोक्ष में जाते हैं। जो संयमी आराधक है, उनमें सामायिक व छेदोपस्थापनीय वाले जघन्य-प्रथम देवलोक, उत्कृष्ट-अनुत्तर विमान में जाते हैं। परिहार विशुद्धि-जघन्य प्रथम देवलोक, उत्कृष्ट-आठवाँ देवलोक, सूक्ष्म संपराय व यथाख्यात वाले जघन्य उत्कृष्ट-अनुत्तर विमान में जाते हैं। यथाख्यात चारित्र वाले मोक्ष भी जा सकते हैं। विराधक संयमी जघन्य-भवनपति, उत्कृष्ट-प्रथम देवलोक में जाते हैं। (क्रमश:)