छाई खुशियाँ बेअंदाज

छाई खुशियाँ बेअंदाज

साध्वी धर्मयशा 

मनोनयन की स्वर्ण जयंति आई गण में आज
महाश्रमणी पर अभिनव नाज
चयन दिवस की मंगल बेला हर्षित पुलकित साध्वी समाज
छाई खुशियाँ बेअंदाज॥

जन्म जन्म की पुण्याई से पाएँ हैं महाश्रमणी जी
उज्ज्वल आभामंडल जिनका ज्योतिर्मय महाश्रमणी जी
गुरु इंगित आराधना में हर पल है सुख साज॥

ज्ञानी ध्यानी स्वाध्यायी है प्रवचन में पटुता भारी
आगम संपादन में कौशल सृजनशीलता मनहार
तुलसी वाङ्मय की निर्मात्री गुरु भक्‍ति का राज॥

महिमा मंडित महाश्रमणी की जीवन शैली अलबेली
जागरूक है दिनचर्या अद्भुत कीर्ति है फैली
जिनशासन वैडर्यमणि हो गूँजे अधर-अधर आवाज॥

अमृतमय आशीर्वर पाएँ दर्शन की अंखियाँ प्यासी
श्रद्धा की रंगोली सजाएँ अध्यात्म जगत की अभिलाषी
महाश्रमणी वर हो सदा चिरायु श्रमणी गण सिरताज॥

साध्वीप्रमुखा स्वर्ण जयंती संकल्पों के दीप जले
साम्य योग के शिखर चढ़े संयम के पर्यव शुद्ध पले
महाश्रमण गुरु शासना में सिद्धि सदन आगाज
जय विजय वरो संघ शिरोमणि धर्मसंघ को नाज॥

लय : म्हारो प्यारो राजस्थान