साध्वीप्रमुखा के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में

साध्वीप्रमुखा के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में

साध्वीप्रमुखा बड़ी महान

डॉ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा 

(1) वीर प्रभु का पावन शासन, भिक्षु गण वरदान, तुलसी का अवदान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(2) रत्नधारिणी भारतभूमि, रंगरंगीला राजस्थान, चांद चांदनी चंदेरी की, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(3) सूरजमलजी छोटी देवी, तात मात की हो संतान, पहली पट्टी वैद वंश की, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(4) महानगर कलकत्ता जन्मी, खिला पुष्प यह सौरभवान, कन्या कला मिली गुणवान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(5) उन्‍नीस की वय साध्वी दीक्षा, कनकप्रभा संयम रममाण, अधेंरी ओरी का स्थान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(6) द्विशताब्दी तेरापथ की, तेरह दीक्षा कीर्तिमान, आषाढ़ी पूनम दिनमान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(7) सहज समर्पण विनय भाव से, पाया गुरु के मन में स्थान, हर उलझन होती आसान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(8) तीस वर्षीया कनकप्रभा को, बना दिया साध्वी कप्तान, तुलसी का यह चयन निराला, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(9) चुंबकीय व्यक्‍तित्व तुम्हारा, आकर्षक व्याख्यान, किंचित् नहीं गुमान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(10) बचपन सा है निश्छल मन, यौवन ज्यों उत्थान, प्रौढ़ता चिंतन की पाई, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(11) तव प्रतिभा का लोहा माने, बड़े-बड़े विद्वान, उन्‍नति की नव भरी उड़ान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(12) अधर खोलती पहले करती, अवसर की पहचान, गुरुवर देते हैं बहुमान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(13) निष्ठा पंचक से शोभित है, निस्पृहता की प्रतिमान, अनुपम रत्न निधान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(14) ममता क्षमता संग करती हो, समता रस का पान, तेरापंथ की शान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(15) पीर पराई हरके करती, जन जन का कल्याण, दिल में करुणा दरिया बहता, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(16) भावों में सबका हितचिंतन, वाणी से वात्सल्य प्रदान, कदम सदा रहते गतिमान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(17) जीवन कई सजाए तुमने, है न कहीं संख्यान, अनगिन हैं उपकार तुम्हारे, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(18) यदा कदा जीवन में आए, कष्टों के तूफान, अटल रही प्रणवान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(19) जिनवाणी के संपादन में, किया गहन प्रणिधान, पल-पल सफल बनाया जीवन, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(20) तुलसी कृतियों के लेखन में, लगी रही इकतान, अमर बनी तुम निज प्रतिभा से, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(21) सरस्वती सम श्रुत की देवी, दुर्गा सम हो शक्‍तिमान, मीरा जैसी भक्‍ति निरखी, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(22) चमकीली हो और लचीली, स्वर्ण गुणों की खान, सार्थक तव अभिधान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(23) बनी रही उपयोगी क्षण क्षण, निर्मल और गतिमान, निर्झर की पहचान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(24) निज्जरट्टिए प्रबल भावना, सेवा लक्ष्य प्रधान, महासेविका भिक्षु गण की, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(25) हर दिल राज किया है तुमने, करके निज बलिदान, मृदु नेतृत्व प्रमाण, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(26) सब प्रमुखाओं की गुणवत्ता, सरदारां पुनवान, नारी जग सम्मान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(27) महाश्रमणी और महानिदेशिका, तुलसी के उपमान, महाश्रमण वच असाधारण, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(28) कर से बरसे आशीर्वाद, नजरों से स्नेहदान, चेहरे पर अभिनव मुस्कान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।
(29) चंद्रकला ज्यों शीतल हो तुम, सूरज सम ऊर्जावान, सागर सम गंभीर, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान॥
(30) मनोनयन शताब्दी आए, मुख-मुख पर संगान, अमृत मोच्छव है वरदान, साध्वीप्रमुखा बड़ी महान।