अमृत महोत्सव : आनंद का उत्सव

अमृत महोत्सव : आनंद का उत्सव

अमृतधारिणी, अमृतामयी माँ श्रद्धेया साध्वीप्रमुखाश्री जी के चयन दिवस की स्वर्ण जयंती को अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का महाप्राण पूज्य गुरुदेव द्वारा धर्मसंघ को वरदान प्राप्त हुआ है। असाधारण साध्वीप्रमुखाश्रीजी का अमृत महोत्सव हम सबके लिए आनंद का उत्सव है। अमृत महोत्सव की उद्घोषणा हमारे जीवन में आनंद का वर्षण कर रही है। तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्यों का अमृत महोत्सव मनाया गया है किंतु किसी साध्वीप्रमुखा का पहली बार धर्मसंघ में अमृत महोत्सव आयोजित हो रहा है। नव इतिहास निर्मात्री महाश्रमणीवरा का यह अमृत महोत्सव, तेरापंथ धर्मसंघ की पोथी में आश्‍चर्य की वर्णमाला से गुंफित एक महाशिलाभिलेख होगा। आपश्री के चयन की स्वर्ण जयंती, तेरापंथ के स्वर्णिम इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ जोड़ रही है। स्वर्ण-सी आभा वाली कनकप्रभा धर्मसंघ में स्वर्णिम आभा बिखेर रही है। आपश्री के तेजोमय आभामंडल से निसृत ज्ञान की स्वर्णिम रश्मियों से भूमंडल आभामंडित हो रहा है। आप संघ-मानसरोवर की स्वर्णमयी कमलिनी हैं। आपश्री के जीवन-पुण्य का एक-एक पत्र प्राणवान साधना की सुवास से सुवासित हो रहा है। नेतृत्व के 50 वर्षों की मोहक सुरभि से संघ-सरोवर सुरभित हो रहा है। आप संघ महासमंदर की दुर्लभ वैदूर्यमणी व अनमोल मुक्‍ता हो, आपश्री के चिंतन का गांभीर्य व विचारों की गहनता धर्मसंघ को नवीनता प्रदान कर रहा है। शक्‍ति प्रदायिका महाश्रमणीवरा की बेजोड़ संघ भक्‍ति, गुरु, भक्‍ति, अद्भुत नेतृत्व शक्‍ति एवं साध्वी-समाज के प्रति आंतरिक अनुरक्‍ति हम सबको तृप्ति का अहसास करा रही है। आपश्री की बेहतरीन जीवन-शैली व ऊर्जा भरी द‍ृष्टि ने साध्वी-समाज को नई दिशा दी है। अधखिली कलियाँ आपश्री से वात्सल्य-सलिल का सिंचन पाकर फूल बनकर खिल रही है। अनुत्साह के भंवर-जाल में डूबी कश्तियों को आप उत्साह के तट पर लेकर आई हैं। आपश्री ने साध्वी-समाज में स्नेह, सम्मान व समरसता का रस घोला है। आपश्री ने अपनी नेहिल नजरों एवं प्रेरक, सम्मोहक तथा करिश्माई वाणी से साध्वी-समाज के कर्तृत्व को मुखर कर उनके वर्चस्व को अभिवर्धित किया है। आठवीं साध्वीप्रमुखा का साध्वी-समाज आठों याम अमृत के महासागर में अवगाहन कर अमृतामयी माँ से अमृतपान कर अमरत्व की दिशा में अग्रसर है। अमरत्व की दिशा में उठे ये कदम वीतराग बनकर ही कृतकाम बने, ऐसा दिव्य आशीर्वाद प्रदान करें।
हे मनमंदिर की महादेवी! वरदायिनी माँ! अमृत महोत्सव पर संपूर्ण धर्मसंघ को विशेषकर आपश्री से संपोषित साध्वी-समाज को यह वरदान प्राप्त हो

कुसुम इव प्रफुल्ला भव।
लेखनी इव गतिशीला भव।
प्रकाश : इव तेजस्वी भव।
वृक्ष : इव सफला भव।
चक्रमिव अग्रगामी भव।
घटिका इव समयज्ञा भव।
औषधि इव स्वास्थ्यदा भव।

हे वरदायिनी माँ! आपश्री से प्राप्त यह वर धर्मसंघ को एवं साध्वी-समाज को अगणित ऊँचाइयाँ प्रदान करेगा। आपके व्योमस्पर्शी व्यक्‍तित्व का एक छोटा-सा आईना आपका यह साध्वी-समाज होगा। आप जितनी चाबी भरेंगे उतनी ऊँची उड़ान भरने के लिए साध्वी-समाज आपके श्रीचरणों में संकल्पबद्ध है। अमृत महोत्सव के अनिर्वचनीय पलों में यही मंगलकामना कर रहे हैं

आपके जीवन का हर पल स्वर्ण की तरह कांतिमान हो।
आपका हर दिन स्फटिक की तरह उजला हो।
आपका हर माह हीरे की तरह चमकदार हो।
आपका हर अयन भास्कर की तरह तेजस्वी हो।
आपका हर दशक शशि-सी शुभ्रता लिए हुए हो।

आप आरोग्य के महासागर में अवगाहन कर पल-पल आरोग्य का वरण करें। आरोग्य-निधि आपश्री की सहचरी बने। चिरकाल तक साध्वी-समाज का असाधारण नेतृत्व कर असाधारण साध्वीप्रमुखा अपने साध्वी-समाज को असाधारण साध्वी-समाज का बाना पहनाए, यही हमारी अभीप्सा है। अंतहीन श्रद्धाप्रणति के साथ विनम्र अभ्यर्थना अर्चना!! अभिवंदना!!!