जहाँ योग होता है वहाँ नियोग भी होता है : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जहाँ योग होता है वहाँ नियोग भी होता है : आचार्यश्री महाश्रमण

दौलतपुरा, 12 जनवरी, 2022
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता मौलासर से 11 किमी का विहार कर दौलतपुरा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे। मंगल प्रवचन में आचार्यप्रवर ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में शरीर और आत्मा का योगदान है। कोई पूछे मैं कौन हूँ? तो इसका उत्तर है, मैं आत्मा हूँ। आत्मा बोलती नहीं है, शरीर के योग से ही आवाज आ रही है। परंतु आत्मा स्थायी है, शरीर अस्थायी है। विनाशधर्मा है।
मरने के बाद शरीर यहीं रह जाता है, आत्मा आगे जाती है। जीवन में मूल तत्त्व आत्मा है। दूसरा तत्त्व शरीर है। दोनों के योग से श्‍वास, पर्याप्ति, इंद्रियाँ आदि हैं। अध्यात्म के क्षेत्र में आत्मा को आदमी प्रमुख मान के चले। परिवार में रहकर भी मैं अकेला हूँ। आत्मा ज्ञान-दर्शन युक्‍त है। शेष जो बाह्य भाव है, वे संयोग लक्षण है। सामान्यतया संयोग का वियोग भी होता है। मैं अकेला हूँ, मेरा कोई नहीं है, परम प्रभु मेरा है। यह एक प्रसंग से समझाया कि पत्नी, भाई-बंधु, नौकर-चाकर, हाथी-घोड़े हैं, पुण्य का योग है, पर आँखें बंद होने के बाद कुछ भी नहीं है। हमारे धर्मसंघ में चार तीर्थ होते हैं, पर आचार्य भिक्षु के शासन में पहले तीन ही तीर्थ थे, चौथा तीर्थ बाद में बना, उस प्रसंग व आचार्य भिक्षु के अन्य प्रसंग को भी समझाया। अध्यात्म की साधना में मैं अकेला हूँ यह भाव जितना पुष्ट होता है, तो बाहर का मोह, राग कम हो सकता है। ये शरीर भी मेरा नहीं है। अकेलेपन की अनुभूति ममत्व की चेतना को छिन्‍न करने में, सुख-शांति देने में सहायक बन सकती है। व्यवहार में हम एक सीमा तक सब साथ हैं। कर्म का योग अच्छा हो तो साथ भी अच्छा मिल सकता है। धर्मरूपी कल्पवृक्ष की ये प्रणितियाँ हैं कि पुण्य का योग हो तो राज्य, परिवार, पुत्र-पौत्र ज्ञान आदि अच्छी चीजें मिल सकती हैं। आज हम दौलतपुरा आए हैं। परमपूज्य महाप्रज्ञ जी भी पधारे थे। हमारे समाज का डूंगरवाल परिवार है। उनकी  जागरूकता से यहाँ आना हुआ है। भीलवाड़ा में अर्ज की थी। डूंगरवाल परिवार में अच्छी भावना-निष्ठा, सेवा की भावना बनी रहे। पीढ़ी में अच्छे संस्कार पुष्ट होते रहें। मंत्री युनूस खान भी खूब अच्छी धार्मिक सेवा देते रहे। राजनीति में भी शुद्धता-नैतिकता बनी रहे। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भावाभिव्यक्‍ति दी। नौ चातुर्मास पश्‍चात मुनि धर्मेश कुमार जी एवं साध्वी कीर्तिलता जी, साध्वी सुदर्शनाजी ने आचार्यप्रवर के दर्शन किए एवं अपनी भावाभिव्यक्‍ति दी। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में मंत्री युनूस खान, स्कूल के प्रधानाचार्य कैलाश सौलंकी, पूजा मरोठी, अरुणा डूंगरवाल, मनीषा डूंगरवाल, नरपत डूंगरवाल, चंदा डूंगरवाल ने अपनी भावना अभिव्यक्‍त की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।