सक्षमता में भी संयम रखना बड़प्पन है : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सक्षमता में भी संयम रखना बड़प्पन है : आचार्यश्री महाश्रमण

भिक्षु साधना केंद्र्र, 30 दिसंबर, 2021
पूज्यप्रवर के स्वागत में पूरा जयपुर उमड़ पड़ा। राजस्थान के खाद्य व आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी उपस्थित थे। पूज्यप्रवर की आज जयपुर के विशिष्ट लोगों से भी वार्तालाप हुआ। परम पावन ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे भीतर चार कषाय हैंवृत्तियाँ हैं। आदमी के भीतर दुर्वृतियाँ भी हो सकती हैं, तो सद्वृत्तियाँ भी रहती हैं। चार कषाय को चार दुर्वृतियाँ कहा जा सकता है। क्रोध, मान, मान और लोभ। तात्त्विक गहरी भाषा में कहें तो कषायों का योग में प्रयोग हो जाता है। ये दुर्वृतियाँ जब तक उपशांत अवस्था में रहती हैं, तो संभवत: ज्यादा नुकसान हमारा नहीं कर सकती। उभर जाती है, तब कर्मों का ज्यादा बंध कराने वाली बन सकती हैं, जैसे राख में ढकी आग। हमारी साधना बढ़े कि कषाय उत्तेजित न हो, शांत रहे। कभी पूर्णतया वीतराग भी बने। सम्यक्त्व है, कषाय शक्‍ति की साधना है, तो कभी न कभी किसी जन्म में वीतरागता प्राप्त होनी ही होती है, मोक्ष मिलता ही है। दुर्वृतियों में एक हैगुस्सा। गुस्सा आने पर आदमी न बोलने की बात भी बोल देता है। चेहरा विकृत हो सकता है। आलस्य मनुष्यों का वह शत्रु है, जो शरीर में रहकर आदमी का नुकसान करता है। गुस्सा भी आदमी का शत्रु है। हमें प्रयास यह करना चाहिए कि मेरा गुस्सा शांत रहे।
तीन स्थितियाँ हैंएक आदमी कमजोरी के कारण गुस्से में बोल नहीं सकता है। यह दुर्बलता है। दूसरी स्थिति-आदमी गुस्सा कर भी सकता है, वापस सुना भी सकता है। दो की चार सुना भी देता है। इसमें कुछ ताकत है। तीसरी स्थिति-आदमी में ताकत है, दो की चार सुना सकता है, सक्षम होने पर भी क्षमा है। ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, फूलों से देता है। वापस कुछ नहीं बोलता। यह बड़ी वीरता है, सक्षम होने पर भी क्षमाशीलता रखना।
सक्षमता में भी संयम रख लेना वास्तव में बड़ी क्षमा है। सहन कर लेता है, वो बड़े का बड़प्पन है। हमें प्रयास यह करना चाहिए कि कमजोर तो नहीं रहें पर गुस्सैल भी न रहें। शक्‍तिशाली होने पर भी क्षमा रखें। ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’। गुस्सा हमारा शत्रु है। इसको शक्‍ति से पछाड़ने का प्रयास करना चाहिए। गुस्से को उपशम से शांत करो। यह एक द‍ृष्टांत से समझाया कि जो गुस्सा नहीं करता वो सामने वाले को कमजोर कर सकता है। सामने वाला उसके सामने झुक जाता है। जहाँ घास-फूस है। वहाँ चिंगारी पड़ती है, तो लपटें उठ सकती हैं। जहाँ सूखा मैदान है, वहाँ कितनी भी आग पड़े पर लपटें नहीं उठेंगी। शांति से गुस्सा शांत पड़ सकता है। ये गुस्से की दुर्वृति जिसमें जितनी है, उसको हमें जितना हो सके शांत करने का, उपशांत करने का प्रयास करना चाहिए। आज हम जयपुर के इस श्यामनगर के क्षेत्र में भिक्षु साधना केंद्र में आए हैं। श्रद्धेय मंत्री मुनिश्री का यह अंतिम चतुर्मास स्थल है। मुनि उदित कुमार जी हमारे साथ हैं, पर मंत्री मुनिश्री किस रूप में हमारे साथ हैं, पता नहीं। श्यामनगर श्रद्धा का अच्छा उपनगर है। सबमें धार्मिक भावना, शनिवार की सामायिक का क्रम चलता रहे। बच्चों में ज्ञानशाला का क्रम चलता रहे। यहाँ की जनता में भी सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्‍ति रहे। धार्मिकता की भावना वर्धमान रहे। पूज्यप्रवर के श्रीचरणों में महिला मंडल ने त्याग का गुलदस्ता भेंट किया। राजस्थान सरकार के खाद्य व आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने नमस्कार महामंत्र और अहिंसा का महत्त्व बताया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत को अपनाने वाला जैन कहलाता है। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, ज्ञानशाला, आदित्य नाहटा, ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत से अपनी भावना अभिव्यक्‍त की। तेयुप मंत्री सुरेंद्र नाहटा भिक्षु साधना केंद्र अध्यक्ष नवरत्नमल नखत ने भी अपनी भावना अभिव्यक्‍त की। गुरुवार को प्रात: आचार्यप्रवर अपनी धवल सेना संग विद्याधरनगर से प्रस्थित हुए। कुछ किलोमीटर का विहार कर आरएसएस द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर में पधारकर विद्यार्थियों को पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री सिविल लाइंस स्थित राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर पधारे तो स्वयं मुख्यमंत्री ने अपने आपास के मुख्य द्वार पर उपस्थित होकर आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। आचार्यश्री के पावन पदार्पण से स्वयं गहलोत ही नहीं उनका पूरा परिवार धन्यता की अनुभूति कर रहा था। मुख्यमंत्री ने आचार्यप्रवर को गोचरी करवा स्वयं को धन्य बनाया। आचार्यश्री का गहलोत व परिवार को पावन प्रेरणा प्रदान करने के उपरांत कुछ समय वार्तालाप का भी क्रम रहा। आचार्यश्री वहाँ से प्रस्थित हुए तो पुन: गहलोत आचार्यश्री को मुख्य द्वार तक पहुँचाने के लिए पैदल चले। उन्हें आशीर्वाद और पावन प्रेरणा प्रदान कर आचार्यश्री महाश्रमण जी राजस्थान के प्रथम नागरिक राज्यपाल कलराज मिश्र के आवास राजभवन में पधारे तो राजभवन की मानो रंगत ही बदल गई। माननीय राज्यपाल मिश्र ने भी आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। आचार्यश्री ने उन्हें भी पावन प्रेरणा व अपने मंगल आशीष से आच्छादित कर गतिमान हुए तो राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास परिसर में भी पधारे। हालाँकि वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति में आवास परिसर के सभी लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। आचार्यश्री ने सभी को पावन प्रेरणा के साथ नशामुक्‍ति के संकल्प भी ग्रहण कराए। आचार्यश्री भारत के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के परिवार पर भी कृपा बरसाने उनके आवास में पधारे और उनके परिजनों को पावन आशीष प्रदान की। इस प्रकार गुरुवर को तेरापंथ अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी की ऐसी कृपा देख जन-जन भाव-विभोर नजर आ रहा था।