गुलाबी नगरी में हुआ मंथन कार्यशाला का आयोजन

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गुलाबी नगरी में हुआ मंथन कार्यशाला का आयोजन

जयपुर
अभातेयुप के तत्त्वावधान एवं तेयुप, जयपुर के आयोजकत्व में गुलाबी नगरी, जयपुर के लोढ़ा इम्पेक्स में अभातेयुप के सम्मानित पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षगण एवं वर्तमान पदाधिकारीगण की गरिमामयी उपस्थिति में ‘मंथन कार्यशाला’ का आयोजन हुआ। कार्यशाला में प्रारंभ से पूर्व लोढ़ा इम्पेक्स प्रांगण मं जैन ध्वज का झंडारोहण किया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा ने समागत अध्यक्षगण का अभातेयुप की ओर से बैज लगाकर सम्मान किया। कार्यशाला का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ। विजय गीत का सामूहिक संगान किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन पूर्व अध्यक्ष सुखराज सेठिया द्वारा किया गया। तेयुप, जयपुर के अध्यक्ष राजेश छाजेड़ ने आगंतुक अतिथियों के स्वागत में अपने भाव व्यक्‍त किए। अध्यक्षीय एवं स्वागत वक्‍तव्य प्रस्तुत करते हुए अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा ने परम पूज्य आचार्यप्रवर को वंदना निवेदित करते हुए सभी आगंतुक, पूर्व अध्यक्षगण एवं वर्तमान प्रबंध मंडल का मंथन कार्यशाला में अभातेयुप की ओर से स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा‘गुरु इंगित की प्रतिपल आराधना हो, संघ-संघपति के प्रति अटूट श्रद्धा हो, सभी युवा साथियों का साथ हो। इस सत्र की प्रथम कार्यसमिति बैठक से पूर्व अग्रज भ्राताओं के साथ बैठकर चर्चा-चिंतन करने एवं उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिल रहा है। यदि हम भूल करें तो वे हमारा मार्गदर्शन करें। उनके अनुभवों का लाभ संगठन को प्राप्त हो। पूर्व अध्यक्षों ने अपने-अपने कार्यकाल में अभातेयुप के आयामों को आगे बढ़ाया। इस सत्र में पूज्य गुरुदेव ने कृपा कर मुमुक्षु निर्माण का नया आयाम अभातेयुप के माध्यम से हमें दिया है, जिसका नाम रखा गया है ‘वीतराग पथ’। इस दिशा में भी हमें सामूहिक रूप से मिलकर प्रयास करना है।
कार्यशाला में उपस्थित सभी पूर्वाध्यक्षों ने अभातेयुप के संदर्भ में अपने विचार एवं अपने कार्यकाल के समय के संस्मरण प्रस्तुत किए, जो इस प्रकार हैं
पूर्व अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने कहा कि युवाओं के लिए नैतिकता, प्रामाणिकता, चरित्र निर्माण सबसे ज्यादा जरूरी है। युवा शक्‍ति की प्रतिभा, सोच, चिंतन देखकर गौरव होता है। किशोर मंडल को रोचक कार्यक्रम दिए जाएँ। संगठन यात्राओं का दौर चले, उसमें जो प्रमाद भाव मिलता है, वह अनिर्वचनीय है। दायित्व का विकेंद्रीकरण करें। समाज की प्रतिभाओं की शासन-प्रशासन में भागीदारी कैसे बढ़े, इस पर चिंतन व कार्य हो।
पूर्व अध्यक्ष पन्‍नालाल पुगलिया ने कहा कि अभातेयुप के माध्यम से संघ व संगठन के लिए कुछ करना है। इस बदलते युग के साथ सोच व विजन को बदलना होगा। आध्यात्मिक, व्यवहारिक व सामाजिकतीन पक्ष युवाओं के पास हैं। युवाओं को तीनों में सामंजस्य बिठाते हुए आगे बढ़ना है। गुरुदेव ने आयाम दिया, मुमुक्षु तैयार करो, उसके लिए देश भर में आध्यात्मिक कार्यशालाएँ, तत्त्वज्ञान कार्यशालाएँ आयोजित हों।
पूर्व अध्यक्ष मर्यादा कोठारी ने कहा कि अभातेयुप के संस्कार निर्माण के आयाम पर पुनर्चिंतन हो। तेयुप से जुड़े लोग वीतरागता के पथ पर आगे बढ़ें। तेयुप कार्यकर्ताओं की फैक्ट्री है। जिस शहर, गाँव में संगठन यात्रा हो, उस क्षेत्र के अभातेयुप के अलंकरण प्राप्तकर्ताओं को बैठक, कार्यक्रम आदि में आमंत्रित किया जाए। मंथन कार्यशाला में कम से कम पाँच प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर गुरुदेव को निवेदन किए जाएँ, फिर उस पर द‍ृष्टि अनुसार कार्य प्रारंभ हो। तेरापंथ प्रचेता तैयार हों। तेरापंथ व जैन दर्शन के सिद्धांत की जानकारी हो, तभी हम जैन व तेरापंथी होने का गौरव कर सकते हैं।
पूर्व अध्यक्ष गौतम डागा ने कहा कि किसी एक दिनांक या तिथि को देश-विदेश में तेयुप दिवस के रूप में मनाया जाए। उस दिन सभी शाखा परिषदें ध्वजारोहण, प्रभात फैरी, कार्यक्रम आदि का आयोजन करें। कार्यप्रणाली में एकरूपता हो, नियमों का कड़ाई से पालन हो। श्रावक संदेशिका हमारी बाईबिल है, संगठन व शाखाओं में उसकी पूरी अनुपालना हो। युवकों में आध्यात्मिक गतिविधियों को बल मिले। प्रगति के साथ मूल सिद्धांत नहीं छूटें। युवावाहिनी के अंतर्गत युवाओं को गोचरी आदि की पूरी जानकारी हो।
पूर्व अध्यक्ष अविनाश नाहर ने कहा कि युवकों को जैनत्व की, तेरापंथ की न्यूनतम आचार संहिता की जानकारी हो। अधिवेशनों, बैठकों आदि के खर्च को कम करके ए0टी0डी0सी0 आचार्य तुलसी जैन हॉस्टल जैसी उपयोगी स्थायी प्रवृत्तियों में उस राशि का उपयोग करें। संगठन को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य हो।
पूर्व अध्यक्ष बी0सी0 जैन भालावत ने कहा कि नई पीढ़ी को अभातेयुप के साथ कैसे जोड़ें, इस पर चिंतन हो। अभातेयुप के नियमित खर्चों की पूर्ति हेतु चिंतन करें। तेरापंथ टाइम्स के स्वरूप में समयानुकूल परिवर्तन हो। समाज के कम से कम 100 जरूरतमंद बच्चों को उच्च शिक्षा में सहयोग करें। उन्हें लोन के रूप में भी सहयोग दिया जा सकता है। अभातेयुप ऐसे जरूरतमंद बच्चों की खोज करें, फिर उन्हें किसी ट्रस्ट या अनुदानदाता के माध्यम से लोन दिलाया जा सकता है।
पूर्व अध्यक्ष संदीप कोठारी ने कहा कि शाखा परिषदों को भी डिजिटल बनाना होगा। शाखा परिषदों की ट्रस्ट डीड के बारे में जागरूकता हो, इस कार्य में अभातेयुप उनको सहयोग करें। चयनित शहरों में किराए पर स्थान लेकर छोटे स्वरूप में आचार्य तुलसी जैन हॉस्टल के आयाम को आगे बढ़ाया जा सकता है। श्रावक संदेशिका की जानकारी एवं कल्याण परिषद के वे निर्णय जो शाखा परिषद या श्रावक समाज से संबंधित हों, उनकी जानकारी युवाओं व परिषदों तक पहुँचनी चाहिए। एटीडीसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल्स के कार्य को आगे बढ़ाया जाए।
उपाध्यक्ष-द्वितीय जयेश मेहता, सहमंत्री-प्रथम अनंत बागरेचा, सहमंत्री-द्वितीय भूपेश कोठारी, कोषाध्यक्ष भरत मरलेचा एवं संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी ने अपने विचार व्यक्‍त करते हुए कहा कि इस कार्यशाला में पूर्वाध्यक्षों के अनुभवों से हमें संगठन के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला है। अभातेयुप के कितने युगों से हमारा साक्षात्कार हुआ है।
कार्यशाला में हुए चिंतन-मंथन के आधार पर पाँच प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए एवं निर्णय किया गया कि उन प्रस्तावों को परम पूज्य आचार्यप्रवर को निवेदित कर उन पर प्राप्त द‍ृष्टि के अनुसार यथायोग्य कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ा जा सकेगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा ने कार्यशाला का उपसंहार करते हुए समागत सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया। उन्होंने युवा गौरव दलपत लोढ़ा के प्रति विशेष आभार के भाव व्यक्‍त किए, जिन्होंने अपने प्रतिष्ठान में मंथन कार्यशाला के आयोजन हेतु स्थान एवं सारी व्यवस्थाएँ उपलब्ध करवाई तथा अभातेयुप टीम का आतिथ्य सत्कार किया। कार्यशाला की विभिन्‍न व्यवस्थाओं में सहयोग हेतु तेयुप, जयपुर के प्रभारी अभिनंदन नाहटा, सुबोध पुगलिया एवं हितेश भांडिया के प्रति आभार ज्ञापित किया।
संपूर्ण कार्यशाला का संचालन उपाध्यक्ष-प्रथम एवं कार्यशाला का संयोजन रमेश डागा ने किया।