कषाय नियंत्रण से जीवन में रूपांतरण

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कषाय नियंत्रण से जीवन में रूपांतरण

कुन्‍नूर
तेममं द्वारा आयोजित ‘कषाय नियंत्रण से जीवन का रूपांतरण’ कार्यशाला को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि हीरे और मोतियों से विशिष्ट है अपनी आत्मा की सुरक्षा करना। कषाय आत्मा के आँगन को गंदा और अशांत बना देता है। अध्यात्म का महत्त्वपूर्ण बिंदु है अपने क्रोध, मान, माया और लोभ को कमजोर बनाएँ। साध्वीश्री जी ने कहा कि अपने आवेग और आवेश को कंट्रोल करने का प्रयत्न करना चाहिए। कार्यशाला मात्र आयोजन नहीं, सत्य संकल्पों की प्रयोगशाला है। मात्र उपासना नहीं आचरणात्मक पक्ष को मजबूत बनाने की कोशिश करें, यह काम्य है। कार्यशाला का प्रारंभ महिला मंडल के मंगल संगान से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा शीतल बरड़िया ने अपने विचार व्यक्‍त किए। एवं स्वागत भाषण दिया। मंडल की पूर्व अध्यक्षा सरला बरड़िया ने कहा कि साध्वीश्री जी द्वारा प्राप्त प्रेरणाओं को हम जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे। साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने कहाहमारे नकारात्मक चिंतन का प्रभाव शरीर पर पड़ता है, जिससे अनेक रोग उत्पन्‍न हो सकते हैं। इसलिए निरंतर सकारात्मक भावों का विकास होता रहे। ऊर्जा का सम्यक् उपयोग होता रहे। कोयंबटूर से समागत तेरापंथ सभा अध्यक्ष प्रेम सुराणा ने कहा कि साधु-संतों का सान्‍निध्य बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है। उन्होंने प्रसंगवश साध्वीश्री जी को कोयंबटूर पधारने की अर्ज की। महिला मंडल की मंत्री प्रियंका पारख ने आभार जताया।