साध्वी चंद्रिकाश्री जी के प्रति उद्गार

साध्वी चंद्रिकाश्री जी के प्रति उद्गार

तेरापंथ संघ है विशाल

साध्वी सुषमा कुमारी 

तेरापंथ संघ है विशाल, पाने वाला हो जाता निहाल
साध्वी चंद्रिका ने पाई, महाप्रज्ञ हाथों संयम की मशाल
हर कार्य सीखने का उत्साह था उनके मन में
तत्त्वज्ञान की समझाने की क्षमता थी कमाल॥

ज्ञान ध्यान स्वाध्याय में तुम रहती थी खुशहाल
सुंदर गायन सुंदर रचना और फुर्तीली थी चाल
परम पूज्य गुरुदेव ने अंतिम उपासना के समय
जीवन भर की आलोचना कर, कर दिया मालोमाल॥

प्रतिदिन प्रभु के आगमन खिल जाता था दरबार
साध्वीप्रमुखा महाश्रमणी की चरण शरण कृपा थी अनपार
एक दिन महाश्रमणी जी की वैयक्‍तिक उपासना से
अंतिम आराधना कर मानो खोल दिया मुक्‍ति द्वार॥