आचार्यश्री तुलसी जन्म दिवस

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आचार्यश्री तुलसी जन्म दिवस

राजलदेसर
साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्‍निध्य में आचार्यश्री तुलसी का जन्म दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नमस्कार महामंत्र से शुरु हुए कार्यक्रम में डॉ0 साध्वी परमयशा जी ने गुरुदेव तुलसी के बारे में कहा कि पूज्य गुरुदेव की अध्यात्म निष्ठा, आगम निष्ठा, आत्मनिष्ठा का जितना गौरव गाएँ उतना कम है। उनकी प्रशासन शैली, लेखन शैली, प्रवचन शैली, संवाद शैली और गायन शैली बेजोड़ थी। जननायक, महानायक गुरुदेव एक महान परिव्राजक थे। कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी कुमुदप्रभा जी ने अपने सुमधुर स्वर लहरियों के साथ किया। महिला मंडल ने शब्द चित्र के माध्यम से प्रस्तुति दी व गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के नन्हे-नन्हे ज्ञानार्थियों ने गीत पर रोचक प्रस्तुति दी। दूसरे चरण में अणुव्रत समिति का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन आचार्यश्री तुलसी की एक प्रमुख देन है। आचार्यश्री तुलसी के जन्म दिवस को ‘अणुव्रत दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। अणुव्रत दिवस को मनाने की सार्थकता पर साध्वीश्री जी ने कहा कि अणुव्रत की आचार संहिताओं का पालन जरूरी है। इस अवसर पर राजलदेसर अणुव्रत समिति के नव नियुक्‍त पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों ने शपथ ग्रहण की। अणुव्रत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष लाभचंद सोनी ने नवमनोनीत अध्यक्ष शंकरलाल सोनी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। तत्पश्‍चात अध्यक्ष शंकरलाल सोनी ने अन्य पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों को शपथ दिलाई एवं कार्यसमिति का परिचय दिया। तृतीय चरण में साध्वी डॉ0 परमयशा जी एवं सहवर्ती साध्वियों ने गीत का सुमधुर संगान किया। चौथे चरण में तेरापंथी सभा, तेममं, तेयुप, तेरापंथ कन्या मंडल, किशोर मंडल एवं ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा आचार्य तुलसी के साहित्य का सुंदर नजारा दिााया गया। तुलसी साहित्य की कमेंट्री में कन्या मंडल की मीनाक्षी बुच्चा एवं आरती बैद ने साहित्य सुमन का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी विनम्रयशा जी ने किया।