धर्मसंघ के आठ आचार्यों की जीवन-दर्शन प्रश्‍नोत्तरी

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धर्मसंघ के आठ आचार्यों की जीवन-दर्शन प्रश्‍नोत्तरी

राजाराजेश्‍वरी नगर
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने तेरापंथ धर्मसंघ के आठ आचार्यों की जीवन-दर्शन प्रश्‍नोत्तरी प्रतियोगिता मेें संभागी श्रावक-श्राविकाओं को उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि भगवान महावीर की वाणी हैज्ञान की आराधना से आत्म तत्त्व, कर्म बंधन, कर्म मुक्‍ति का साधन, उत्तम जीवनशैली आदि-आदि का ज्ञान प्राप्त होता है। इसके लिए स्वाध्याय उत्तम साधन है। तीर्थंकरों एवं आचार्यों का जीवन चरित्र का स्वाध्याय आत्म विकास का मार्ग है। तेरापंथ महिला मंडल के माध्यम से प्रश्‍नोत्तरी प्रतियोगिता में बहुत बड़ी संख्या में भाई-बहन जुड़े। तीर्थंकर भगवान के प्रतिनिधि आचार्यों के जीवन को आपने पढ़ा। उनके जीवन से प्रेरणा लें। साध्वीश्री जी ने मेघ मुनि के उदाहरण से तत्त्व समझाया। कार्यक्रम की शुरुआत शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने नमस्कार महामंत्र के द्वारा की। महिला मंडल की बहनों ने महावीर अष्टकम से बहुत मंगलाचरण किया। शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी ने स्वाध्याय के बारे में बताया। अध्यक्ष लता बाफना ने सभी का स्वागत करते हुए आचार्यों के जीवनी के प्रश्‍नपत्र के परिणाम घोषित किए। प्रथम स्थान पर शारदा बैद, पारस सेठिया, द्वितीय स्थान पर हेमलता सुराणा, ममता दुगड़ तथा तृतीय स्थान पर विजयलक्ष्मी मणोत रही। प्रथम, द्वितीय, तृतीय आने वाले सभी भाई-बहनों को पुरस्कार एवं सभी संभागी भाई-बहनों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का संचालन मंत्री सीमा छाजेड़ ने एवं आभार सहमंत्री हेमलता सुराणा ने व्यक्‍त किया।