भगवान महावीर के निर्वाण दिवस

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भगवान महावीर के निर्वाण दिवस

नोहर
जैन धर्म में दीपावली को महावीर निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहादीपावली विभिन्‍न संस्कृतियों व इतिहास के विविध प्रसंगों से जुड़ा हुआ पर्व है। जैन धर्म में यह भगवान महावीर के निर्वाण की घटना से जुड़ा हुआ पर्व है। भगवान महावीर इस युग के 24वें अंतिम तीर्थंकर हुए। पावापुरी (बिहार) में अमावस्या की रात प्रवचन करते-करते पद्मासन में उन्होंने नश्‍वर देह का त्याग किया था, एक ज्योति सदा के लिए महा ज्योति के रूप में प्रतिष्ठित हो गई। कहते हैं, उस अमावस्या की रात को लोगों ने दीप जलाकर आलोकित कर दिया। शासनश्री ने दीपावली के महत्त्व को बताते हुए कहा कि यह जीवन में खुशहाली लाने का पर्व है न कि जेब खाली करने का। बच्चों और युवकों से विशेष रूप से कहना हैवे पटाखों से यथासंभव बचने की कोशिश करें। पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, अहिंसा की परिपालना, आर्थिक बचत आदि अनेक द‍ृष्टियों से इसकी उपयोगिता सिद्ध होती है। कार्यक्रम का प्रारंभ स्थानीय तेममं के मंगलाचरण से हुआ। महेंद्र सिपानी, सुशील सिपानी, महिला मंडल प्रधान किरण देवी, पुष्पा सिपानी, सुनील तातेड़, सरला देवी सिपानी, सज्जन देवी छाजेड़ ने भगवान महावीर की अभ्यर्थना में अपनी प्रस्तुतियाँ दी। कार्यक्रम का संयोजन कोमल तातेड़ ने किया। निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में पूरे दिन भगवान महावीर का जप चला।