मासखमण तपोभिनंदन समारोह

संस्थाएं

मासखमण तपोभिनंदन समारोह

विशाखापट्टनम
साध्वी त्रिशला कुमारी जी के सान्‍निध्य में 31 की तपस्या करने वाले विजय भाई जैन, 31 की तपस्या करने वाली मंजुला पवन दुगड़ की धर्मपत्नी तथा आयंबिल भद्रोतर तप साधिका शांति देवी बैद का तपोभिनंदन का कार्यक्रम तेरापंथ भवन में रखा गया।
कार्यक्रम का आगाज संदीप सेठिया के द्वारा किया गया। विजयनगरम के सभाध्यक्ष प्रवीण अंचलिया तथा महिला मंडल अध्यक्षा रीता अंचलिया ने भाव व्यक्‍त किए। साध्वी त्रिशला कुमारी जी ने कहा हमें चातुर्मास मिला है इस चातुर्मास तप का अनूपम ठाट लगा है यह हमारे लिए एक यादगार बनेगा। महिला मंडल द्वारा सामुहिक गीत द्वारा तपस्वियों का अभिनंदन किया गया।
महासभा के आंचलिक प्रभारी विमल कुंडलिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। तेयुप अध्यक्ष ॠषभ सुराणा ने तीनों तपस्वियों की प्रशंसा की। गुंजन जैन ने गीत के द्वारा सभी को आह्लादित कर दिया। असाधारण साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन साध्वी कल्पयशा जी ने किया। साध्वी रश्मिप्रभा जी ने गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी त्रिशला कुमारी जी ने कहा कि कहा जाता है पुष्प की कली कली में सौरभ होती हैं, इक्षु के पौर-पौर में माधुर्यरस भरा रहता है। इस तप के महासमरांगण में विजय जैन, मंजुला दुगड़ ने 31 दिनों का मासखमण कर कर्म निर्जरा के साथ तेरापंथ धर्मसंघ की नींवों को मजबूत बनाया है वहीं आयंबिल भद्रोत्तर तप साधिका शांति देवी बैद ने अपने जीवन को तपमय बनाकर उत्कृष्ट कर्म निर्जरा की है। तीनों तपस्वी भाई-बहनें इसी प्रकार तपस्या करके अपने कुल और जैन शासन का नाम रोशन करें। साध्वी कल्पयशा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम के समापन में 3 तपस्वियों को साध्वीश्रीजी ने प्रत्याख्यान करवाए तथा तेरापंथ सभा, तेयुप, महिला मंडल ने मोमेंटो, पौषध कीट एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में विजयनगर, केसिंगा, कोलकाता आदि क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएँ समुपस्थित थे। केसिंगा के श्रावक रामनिवास जैन आदि ने भी मोमेंटो गुरुदेव की तस्वीर आदि भेंट की।