अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-4 : चारित्र के कितने प्रकार हैं?
उत्तर : चारित्र के पाँच प्रकार हैं
(1) सामायिक (2) छेदोपस्थापनीय (3) परिहार विशुद्धि
(4) सूक्ष्म संपराय (5) यथाख्यात

प्रश्‍न-5 : चारित्र के पाँच प्रकारों को कैसे परिभाषित करें?
उत्तर : (1) सामायिक सर्व सावद्य योगों का प्रत्याख्यान करना सामायिक चारित्र है।
(2) छेदोपस्थापनीय विस्तार से विभागपूर्वक महाव्रतों की उपस्थापना करना व पूर्व पर्याय का छेद
होने पर जो चारित्र मिलता है, उसे छेदोपस्थापनीय चारित्र कहते हैं।
(3) परिहार विशुद्धि आत्म विशुद्धि की सावधिक निर्धारित तपस्या पूर्वक साधना को परिहार विशुद्धि
चारित्र कहते हैं।
(4) सूक्ष्म संपराय दसवें गुणस्थान में होने वाले चारित्र को सूक्ष्म संपराय चारित्र कहते हैं। इस
चारित्र में क्रोध, मान, माया का संपूर्ण उपशम या क्षय हो जाता है। केवल सूक्ष्म लोभ का अंश विद्यमान रहता है।
(5) यथाख्यात वीतराग के चारित्र को यथाख्यात कहते हैं। (क्रमश:)