आवेश प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन

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आवेश प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन

हैदराबाद
साध्वी निर्वाणश्री जी ने ज्ञानबाग कॉलोनी में आयोजित कार्यशाला में कहाआवेश वर्तमान युग की एक जटिल समस्या है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सब इससे आक्रांत हैं। क्रोध प्रीति का नाशक है। इससे व्यक्‍ति के दिव्य गुण तिरोहित हो जाते हैं। हम क्रोध को
सफल न होने दें। जब-जब क्रोध सफल होता है दु:ख की परंपरा बढ़ जाती है। भगवान महावीर ने क्रोध के विफलीकरण के लिए उपशम/क्षमा/सहिष्णुता की साधना पर अत्यधिक बल दिया। साध्वीश्री जी ने क्रोध से विमुक्‍ति के लिए श्‍वेतरंग के ध्यान एवं अनुप्रेक्षा का प्रयोग विशेष रूप से करवाया। कार्यशाला की मुख्य वक्‍ता साध्वी योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि क्रोध संबंधों की समरसता को लील जाता है। यह अग्नि की तरह सर्वगुणों का नाशक है। तत्काल क्रोध के आवेग रोकने के लिए कुछ उपाय इस प्रकार किए जा सकते हैं। व्यक्‍ति मौन धारण कर लें। स्थान छोड़ दें। श्‍वास संयम करें। ॐ का लयबद्ध जप करे। साध्वीवृंद की समवेत स्वर लहरी ने वातावरण को संगीतमय बना दिया। आगापुरा ज्ञानशाला के बच्चों, आयुष, लक्ष्य, हार्दिक ने बालसुलभ नाटिका का अभिनय किया। संगीता बोरड़ एवं खुशबू दुगड़ का विशेष सहयोग रहा। आगापुरा क्षेत्र की कन्याओं की प्रस्तुति ने श्रोताओं का मन मोह लिया। साध्वी लावण्यप्रभा जी ने मंच संचालन किया एवं प्रमोद भंडारी ने कार्यक्रम की समायोजना के लिए आभार व्यक्‍त किया।