तपस्या मंगल कलश है

तपस्या मंगल कलश है

साहुकारपेट, चेन्‍नई
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में सुरेश सिंघी के तैंतीस दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में तप अभिनंदन, अनुमोदना कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि तपस्या वह मंगल कलश है, जिसके जल को पीने वाला हर व्यक्‍ति मंगलमय बन जाता है। तपस्या वह प्रकाशदीप है, जो जिंदगी की हर अंधेरी गली को रोशनी से भर देता है। तपस्या एक सुरम्य वाटिका है, जिसमें भ्रमण करने वाला ही आनंद ले सकता है। वो ही जान सकता है, इसमें कितनी महक व रमणीयता है। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि भाई सुरेश सिंघी ने अटूट संकल्प-बल के द्वारा तप का अमृत-पान किया है। तप के प्रति विशिष्ट रुचि और लगाव हो, तो ही व्यक्‍ति तप के पथ पर गतिमान बन सकता हे। सुरेश का तप के प्रति आंतरिक लगाव है, ऐसा हमने महसूस किया है। साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी डॉ0 सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी व साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने तप अनुमोदना गीत का संगान कर पूरी परिषद को तप करने की प्रेरणा दी। तेरापंथ सभा के निवर्तमन अध्यक्ष विमल चिप्पड़ ने श्रद्धेया महाश्रमणीवरा के संदेश का वाचन किया। महेंद्र सिंघी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के संगठन मंत्री राजेंद्र भंडारी ने किया। रितू सुराणा व मुग्धा सिंघी ने गीत की प्रस्तुति दी। मुक्‍ता चंडालिया व शशि चंडालिया ने अपने भाव व्यक्‍त किए। तेरापंथी सभा द्वारा तपोभिनंदन पत्र से तपस्वी का अभिवादन किया गया।