टीपीएफ का 5वाँ राष्ट्रीय कॉर्पोरेट अधिवेशन आयोजित

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टीपीएफ का 5वाँ राष्ट्रीय कॉर्पोरेट अधिवेशन आयोजित

भीलवाड़ा
टीपीएफ द्वारा आचार्यश्री महाश्रमण जी के पावन सान्‍निध्य में 5वाँ राष्ट्रीय कॉर्पोरेट अधिवेशन महाश्रमण सभागार, तेरापंथ नगर में आयोजित किया गया। अधिवेशन के उद्घाटन में शुभारंभ टीपीएफ गीत का गान किया गया। टीपीएफ आध्यात्मिक पर्यवेक्षक डॉ0 मुनि रजनीश कुमार जी ने कहा कि जिंदगी की चुनौतियों को पार कर ही सफलता मिलती है। दिन-भर की भागदौड़ भरी जिंदगी में घर के बच्चों को संस्कारवान बनाना भी एक चुनौती है। व्यवसाय में प्रगति करना भी एक चुनौती है। आध्यात्मिकता से प्रामाणिकता और नैतिकता का समावेश करना आसान हो जाता है। कॉन्फ्रेंस संयोजक नवीन वागरेचा ने कॉर्पोरेट अधिवेशन की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की और पधारे हुए सभी संभागियों का स्वागत किया। अधिवेशन के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश गौतम चोरड़िया ने कॉर्पोरेट व्यवसाय एवं न्यायिक व्यवस्था में कैसे तालमेल हो सकते हैं उसके बारे में बताया तथा थीम ‘‘चैलेंस योरसेल्फ’ को कैसे चरितार्थ करें इस पर अपना उद्बोधन दिया। आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने प्रेरणा पाथेय में कहा कि दो शब्द व्यक्‍ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण है अनुस्त्रोत व प्रतिस्त्रोत। अनुस्त्रोत में चलना आसान होता है, लेकिन प्रति स्त्रोत में चलना कठिन होता है। प्रवाह के साथ-साथ आसानी से चला जा सकता है, प्रवाह के विपरीत चलना कठिन होता है। लकड़ी का टुकड़ा पानी के साथ-साथ आसानी से तैर सकता है, हवा यदि पीछे से चले जो रास्ता आसान है, लेकिन अगर सामने से हो तो चलने में मुश्किल होती है। आज व्यक्‍ति बहुत अधिक सुविधायुक्‍त जीवन-यापन करने में लगा हुआ है, लेकिन व्यक्‍तित्व निर्माण, त्याग और कम सुविधाओं में जीवन-यापन करने से ही हो सकता है। जो लोग आर्थिक मामलों में जुड़े हुए होते हैं उन्हें पैसों के मोल-भाव में नैतिक होना अति आवश्यक है। अत्यधिक पैसे के कारण गलत प्रवृत्तियाँ भी पनप सकती हैं। ऐसे में व्यक्‍ति को ईमानदारी रखते हुए ऑनेस्टी इज़ द बेस्ट पॉलिसी के वाक्य को चरितार्थ करते हुए जीवन-यापन करना चाहिए। आचार्यप्रवर ने जीवन में कम्फर्टजोन से बाहर निकलकर और अच्छे लोगों के जीवन से प्रेरणा लेकर स्वयं को चैलेंस देकर अपने जीवन को प्रगतिशील बनाने का पाथेय दिया। अधिवेशन सत्र के द्वितीय सत्र में साध्वी समताप्रभा जी ने कहा कि लोगों की भीड़ में व्यक्‍ति अपने आपको भूल जाता है। व्यक्‍ति के मन में भिन्‍न-भिन्‍न भय के कारण व्यक्‍ति कम्फर्ट जोन के बाहर आने में डरता है, जिसके कारण बंधन हो जाते हैं और इसमें व्यक्‍ति की प्रगति रुक जाती है। पैसा इकट्ठा करना और कंजूस होने में फर्क है। पैसा कमाने से ज्यादा पैसा का प्रबंधन ज्यादा महत्त्वपूर्ण है और चुनौतीपूर्ण है। दुनिया के करीब जा रहे हैं और स्वयं से दूर जा रहे हैं। जरूरत पड़ने पर ना कहने की कला भी आनी चाहिए।
अधिवेशन में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश गौतम चोरड़िया, सांसद सुभाष बहेड़िया, ओस्तवाल ग्रुप एम0डी0 महेंद्र ओस्तवाल, सी0आर0आई0सी0 चेयरमैन सीए नीलेश गुप्ता, सीए ब्रांच चेयरमैन पिरेश जैन, सीए शाखा चेयरमैन सुमित कच्छारा, सीएमए शाखा चेयरमैन, बी0डी0 अग्रवाल, टेक्सबार अध्यक्ष अतुल सोमानी, सीए निर्भीक गांधी, के0सी0 बाहेती, सीएस नितिन मेहता आदि कई सीए, सीएस, सीएमए मौजूद थे। अधिवेशन के दूसरे दिन प्रथम सत्र के दौरान ओस्तवाल ग्रुप चेयरमैन महेंद्र ओस्तवाल ने व्यापार में नैतिकता के मूल्यों के साथ भी कैसे सफलता हासिल हो सकती है। अपनी जीवन की सफलता की कहानी के साथ इस पर प्रकाश डाला। मुनि निकुंज कुमार जी ने कहा कि हम पूरी दुनिया की चिंता करते हैं, अमेरिका में क्या हो रहा है, जबकि जरूरत अपने बारे में चिंतन करने की है। स्वयं का निरीक्षण करने की है। हमको मैं कौन हूँ, यह सोचना होगा।
मुनि मुकुल कुमार जी ने कहा कि व्यक्‍ति के पास विकसित चिंतन क्षमता तो है, परंतु परिष्कृत चिंतन क्षमता से व्यक्‍ति चुनौतियों से पार लग सकता है। जीवन के उन कार्यों को बदलना है, जिससे चुनौतियाँ उत्पन्‍न होती हैं। व्यक्‍ति को तनाव के प्रबंधन का सूत्र जीवन में लाना चाहिए। हमारे भीतर भी समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा मौजूद है। जरूरत है तो सिर्फ उस ऊर्जा को जागृत करने की।
मुनि रजनीश कुमार जी ने कहा कि आर्थिक पक्ष के साथ आध्यात्मिक जीवन में भी आगे बढ़ना जरूरी हे। आज मनुष्य मानसिक रूप से शांत नहीं है। मानसिक शांति के लिए प्रेक्षाध्यान को अपनाया जा सकता है। साथ ही मुनिश्री ने कुछ प्रयोग करवाए, जिसे मन शांत होता है। मानसिक शांति मिलती है। भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेड़िया ने कहा कि हमेशा नई जगह जाना पड़ता है तो कुछ न कुछ नया सुनकर और उससे कुछ ना कुछ नया जीवन में उतारकर जीवन को प्रगतिशील रखना ही सही मायनों में समर्थ प्रयास है। व्यक्‍ति को व्यवस्थित जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। टीपीएफ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, सहमंत्री नवीन वागरेचा, विनोद पितलिया, एलएल गांधी, जोन चेयरमैन दिलीप कावड़िया, शाखा अध्यक्ष राकेश सुतरिया, मंत्री अभिषेक कोठारी, सहमंत्री अजय नौलखा, सौरभ कावड़िया, कौशल आंचलिया, बी0एल0 बड़ोला, प्रणेता बड़ोला, सोनल मारू, पूजा जैन आदि उपस्थित रहे।