तपस्या परम औषधि है

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तपस्या परम औषधि है

चेन्‍नई
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ भवन में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में विमला देवी रतनलाल मांडोत के तेरहवें मासखमण तप की संपन्‍नता पर तप अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। सैकड़ों श्रावक- श्राविकाओं ने तप अनुमोदना कर कर्म निर्जरा की। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि तपस्या वह औषधि है, जो जीवन में सहजता, सौम्यता, सरलता व स्वस्थता का अवतरण करती है। तप से जब व्यक्‍ति का अंतर्मन अनुप्राणित होता है, तब आनंद की अनुभूति का द्वार उद्घाटित होता है। तप के तेज से तपस्वी का चेहरा चमकने लगता है। तपस्वी का आत्मबल, संकल्पबल, पारिवारिक सहयोग बल एवं साधु-साध्वियों का प्रेरणाबल जब प्रबल होता है तो मासखमण जैसी विशिष्ट तपस्याएँ होती हैं। साध्वीश्री जी ने कहा कि मुझे लगता है विमलाबाई संपूर्ण तमिलनाडु या यों कहूँ कि दक्षिण भारत की संभवतया पहली तपस्विनी बहन है जो आज तेरहवें मासखमण का प्रत्याख्यान कर रही हैं। लगभग एक से इक्‍कीस तक की लड़ी पूरी कर चुकी हैं। हमारे चातुर्मास में दो बड़ी तपस्याएँ की हैं। पूर्व में आठ की तपस्या एवं आज मासखमण। एक चातुर्मास में दो बड़ी तपस्या करना बहुत बड़ी बात है। तप के पथ पर निरंतर अग्रसर रहना, हमारी यही मंगलकामना है। रतनलाल एवं पूरा मांडोत परिवार साधुवाद का पात्र है, जिन्होंने तप में सहयेाग किया है। मांडोत परिवार में और तपस्वी तैयार हों। साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी डॉ0 सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी व साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने लंबे तप का सुदीर्घ गीत प्रस्तुत कर परिषद को रोमांचित कर दिया। तेरापंथ सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया ने शुभकामना प्रेषित की। मनोज डूंगरवाल ने तप-संदेश का वाचन किया। मांडोत परिवार की बहनों ने गीत प्रस्तुत किया। पोते-पोतियों व पुत्र-वधुओं ने नाटिका के द्वारा दादीसा के तप की वर्धापना की। संचालन साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने किया। चौपड़ा परिवार की बहनों ने गीत व निधि ने भाव व्यक्‍त किए। तेरापंथ सभा द्वारा विमलाबाई, भाग्यवंतीबाई तथा भंवरीदेवी मांडोत का मोमेंटो द्वारा अभिनंदन किया गया। संचालन मंत्री गजेंद्र खाटेड़ ने किया।