अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह कार्यक्रम

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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह कार्यक्रम

खेडब्रह्मा
शासनश्री साध्वी सत्यप्रभा जी एवं साध्वी ध्यानप्रभा जी, साध्वी श्रुतप्रभा जी, साध्वी यशस्वीप्रभा जी के सान्‍निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का सप्त दिवसीय कार्यक्रम चला। सांप्रदायिक सौहार्द दिवस पर मुख्य वक्‍ता साध्वी यशस्वीप्रभा जी ने अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किए। जीवन विज्ञान विषय पर मुख्य वक्‍ता निवर्तमान प्रििंसपल हरिहर पाठक ने अपने विचार रखे। जीवन विज्ञान की आज के युग में अत्यंत आवश्यकता बताई। साध्वी श्रुतप्रभा जी ने जीवन-विज्ञान, प्रेक्षाध्यान को विस्तार से बताया और कहा यह गणाधिपति गुरुदेव तुलसी एवं महाप्रज्ञ की मानव जाति को बहुत बड़ी देन रही है। मंगलाचरण के बाद साध्वी ध्यानप्रभा जी ने विस्तार से अणुव्रत क्या है? क्यों है? और किसके लिए है? इस पर विस्तार से जानकारी दी। आजादी मिलने के बाद भौतिक विकास की योजनाएँ बनाई जा रही थीं उस समय राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी ने मानवता के विकास के लिए बिन सांप्रदायिक धर्म जो अणुव्रत के नाम से एक आंदोलन के रूप में चलाया गया। जिसका प्रभाव न केवल भारत में ही हुआ, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हुआ। शासनश्री साध्वीश्री जी ने कहा कि इसे हर संप्रदाय, जाति व रंग के भेदभाव बिना या अपनाया जा सकता है। छोटे-छोटे नियमों द्वारा व्यक्‍ति सुधार संभव है और व्यक्‍ति सुधार के साथ-साथ परिवार, राज्य, समाज एवं राष्ट्र का विकास भी संभव है। पर्यावरण दिवस पर मुख्य वक्‍ता सुरेश भाई पटेल, प्रधानाध्यापक ज्योति हाईस्कूल, खेडब्रह्म ने ध्यान को बहुत महत्त्वपूर्ण बताया। बाह्य ध्यान हर व्यक्‍ति कर रहा है। हर कार्य में ध्यान हो रहा है। बिना ध्यान के जीवन चल नहीं सकता पर यह सब बाह्य ध्यान है। यहाँ जो विषय रखा है वह स्वयं का ध्यान भीतर का ध्यान जिससे विभाव से स्वभाव में रहा जा सके। पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए ध्यान की आवश्यकता रहती है। अशुद्ध पर्यावरण जीवन के लिए उपयुक्‍त नहीं है। हमें पर्यावरण को शुद्ध रखने का मानस बनाना चाहिए। साध्वी ध्यानप्रभा जी ने पर्यावरण शुद्धि को अध्यात्म के साथ जोड़ने की बात बताई, जिससे अनेक प्रकार के कर्म बंधनों से बचा जा सकता है। शासनश्री सत्यप्रभा जी ने कहा कि आज जितना भूमि का दोहन हो रहा है, वृक्षों का नाश किया जा रहा है। क्या यह मानव जाति के लिए खतरा नहीं है। इस पर हमें गहराई से सोचना होगा। नशामुक्‍ति दिवस पर मुख्य वक्‍ता ब्रह्मभट्ट, प्रोफेसर आर्ट्स एंड कॉमर्स खेडब्रह्मा ने कहा महाभारत के समय राजा-महाराजाओं द्वारा नशा किया जाता था। जिससे कितना नुकसान हुआ, विस्तार से बताया। आज हर घर में नशे का प्रचलन बनता जा रहा है। हमें नशा नहीं करना चाहिए। तनाव से निजात पाने में नशा करना कोई ठोस उपाय नहीं है।
साध्वी श्रुतप्रभा जी ने कहानशा नाश का द्वार है, फिर आज लोग इसे नहीं समझ रहे हैं, यह दुर्भाग्य है। नशे के अनेक प्रकार हो सकते हैं। हमें अच्छाइयों का नशा रखना चाहिए न की बुराईयों का। ज्ञानशाला के विद्यार्थियों ने कव्वाली प्रस्तुत की। साध्वी सत्यप्रभा जी ने कहा कि गलत नशे की आदत वालों ने अपने पूरे परिवार को दुखी बनाया है। अनुशासन दिवस पर साध्वी यशस्वीप्रभा जी ने शासन व अनुशासन पर विस्तार से बताया। जो व्यक्‍ति स्वयं पर शासन कर सकता है, वही व्यक्‍ति दूसरों पर अनुशासन कर सकता है। शासनश्री सत्यप्रभा जी ने कहा कि हर व्यक्‍ति को अनुशासन में रहना चाहिए। तेरापंथ धर्मसंघ को देखिए एक ही आचार्य के नेतृत्व में सैकड़ों साधु-साध्वियाँ एवं करोड़ों श्रावक-श्राविकाएँ जी रहे हैं। अनुशासन जीवन निर्माण में बहुत ही उपयोगी है। सभी कार्यक्रमों का संचालन स्थानीय सभा के अध्यक्ष शंकर जैन ने किया। अहिंसा दिवस पर मुख्य वक्‍ता गौतम भाई भट्ट प्रिंसिपल शारदा विद्या मंदिर बडाली से पधारे, उन्होंने अहिंसा पर प्रभावशाली विचार रखे। अहिंसा धर्म है, अहिंसा वही व्यक्‍ति पाल सकता है, जिसमें दया, करुणा व मैत्री भाव हो। अणुव्रत सप्ताह का समापन शासनश्री साध्वीश्री जी के प्रेरक उद्बोधन के साथ हुआ।