सफलता का स्वर्णिम सूत्र है - पुरुषार्थ

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सफलता का स्वर्णिम सूत्र है - पुरुषार्थ

बोलाराम
तेरापंथ भवन में महिला मंडल के तत्त्वावधान में आयोजित सफलता के स्वर्णिम सूत्र कार्यशाला को संबोधित
करते हुए साध्वी काव्यलता जी ने कहा कि व्यक्‍ति के जीवन में जितनी गुणवत्ता बढ़ेगी, स्वभाव उत्कृष्ट व आचरण जितना निर्मल बनेगा उतना ही वह अपने अंत:करण को निर्मल बनाता है। सफल जीवन का स्वप्न लेना तो सहज है, लेकिन नीतिकारों ने कहा हैसफलता के मणि मुक्‍ता धूल में बिखरे नहीं पड़े हैं, उन्हें पाने की ललक है तो गहराई में उतर जाने का साहस पैदा करो।
साध्वी ज्योतियशा जी, साध्वी सुरभिप्रभा जी ने मधुर गीत से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कार्यशाला में सभा अध्यक्ष रतनलाल सुराणा, तेममं अध्यक्ष दमयंती सुराणा, चेन्‍नई से समागत पदम रमेश लुंकड़, जयचंद संचेती, जसवंत बरड़िया, नवीन लुंकड़, पिस्ताबाई लुंकड़, वसंता संचेती आदि अनेक पारिवारिकजनों ने अपने भुआ महाराज के दर्शन कर प्रसन्‍नता व्यक्‍त की। उपासिका सज्जन नाहर ने अपने भाव व्यक्‍त किए। साध्वी ज्योतियशा जी ने तनावमुक्‍ति के लिए कायोत्सर्ग का सुंदर प्रयोग करवाते हुए मंच का संचालन किया।