जैन साधना पद्धति में एक अनुष्ठान है - तपस्या

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जैन साधना पद्धति में एक अनुष्ठान है - तपस्या

विल्लुपुरम
साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी के सान्‍निध्य में मासखमण तपोभिनंदन आयोजित हुआ। संतोष सुराणा ने 15 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया था, साध्वीश्री की प्रेरणा से तपस्वी बहन का संकल्प बल और बढ़ा एवं वह इस तपपथ पर आगे बढ़ गई।
साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी ने कहा कि तप एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें मनोबल, संकल्पबल और शारीरिक बल की द‍ृढ़ता एवं अनुकूलता अति आवश्यक है। तपस्वी बहन का साथ देने वाले उनके परिवार का भी अभिनंदन होना चाहिए। साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी ने कहा कि समय पर करणीय कार्य यदि कर लिया जाए तो निश्‍चित ही व्यक्‍ति बाजी जीत लेता है। जो व्यक्‍ति एक बूँद की कीमत नहीं जानता वह सागर को क्या जानेगा। मनुष्य जीवन की मौलिकता जानना और समझना जरूरी है। साध्वी प्रबोधयशा जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्‍ति के भीतर अनंत शक्‍तियाँ छिपी हुई हैं। अपने भीतर की शक्‍तियों को जगाने की प्रेरणा मिलती हैसाधु-साध्वियों से।
कार्यक्रम का संचालन नई विधा से बुलेटिन के माध्यम से संगीता सुराणा एवं दिशा बाफना ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुशील सुराणा एवं पवन सुराणा के मंगलाचरण द्वारा हुआ। तेरापंथ सभा से महेंद्र धोखा, मोतीचंद भंडारी, महिला मंडल ने गीतिका एवं सिंपोजियम के द्वारा अपने मन की बात की प्रभावी प्रस्तुति दी। परिवार से रीटा आच्छा, केसर आच्छा, यश, मेहक, निष्ठा सुराणा तथा नरेश सुराणा ने भी अपने विचार व्यक्‍त किए और असाधारण साध्वीप्रमुखाश्री जी का संदेश वाचन पवन सुराणा ने किया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री राजेश सुराणा द्वारा किया गया।