त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर

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त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर

मैसूर
तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के शुभारंभ के अवसर पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने शिविरार्थियों को ध्यान का प्रयोग करवाया एवं उपसंपदा स्वीकार करवाई। उन्होंने कहा कि प्रेक्षाध्यान शारीरिक, भावनात्मक और बौद्धिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। यदि आत्मदर्शन की दिशा में प्रस्थान करना है तो ध्यान की साधना महत्त्वपूर्ण है।
भविष्य की निरर्थक कल्पना व्यक्‍ति के विकास में बाधक बनती है। प्रेक्षाध्यान साधक शिविर के दौरान संयम की विशेष साधना करें। मित-भाषण का प्रयोग करें। अनावश्यक प्रवृत्ति में समय व्यर्थ न करें। मुंबई से समागत वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दुगड़ का परिचय कन्या मंडल प्रभारी संतोष कोठारी ने एवं प्रेक्षा प्रशिक्षिका विमला दुगड़ का परिचय तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा मंजु दक ने दिया। तेरापंथ सभाध्यक्ष शांतिलाल कटारिया ने शिविर संचालकों एवं शिविरार्थियों का स्वागत किया। प्रशिक्षिका विमला ने कहा कि प्रेक्षाध्यान उच्च कोटि की साधना पद्धति है। प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दुगड़ ने कहा कि प्रेक्षाध्यान का अर्थ हैराग-द्वेष से मुक्‍त होकर देखना। प्रेक्षाध्यान अनंत शांति और आनंद के जागरण का महत्त्वपूर्ण आयाम है। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी सिद्धियशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया। साध्वी
शौर्यप्रभा जी ने आसन-प्राणायाम की सैद्धांतिक जानकारी देते हुए उनका महत्त्व बताया। साध्वी राजुलप्रभा जी ने मंच संचालन किया। शिविर संभागियों को आसन, मुद्रा विज्ञान, कायोत्सर्ग, ध्यान, अनुप्रेक्षा आदि के विशेष प्रयोग करवाए।