आत्मकल्याण के लिए समय का सम्यक् नियोजन करें : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आत्मकल्याण के लिए समय का सम्यक् नियोजन करें : आचार्यश्री महाश्रमण

अंकित ग्राम, 29 मई, 2021
तेजस्वी, ओजस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रात: विहार करके अंकित ग्राम के सेवाधाम आश्रम में पधारे। सेवा के योगी परम पावन ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि छ: द्रव्य बतलाए गए हैंधर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल, पुद्गलास्तिकाय और जीवास्तिकाय।
इनमें एक द्रव्य हैकाल यानी समय। किसी भी कार्य को करने के लिए काल अपेक्षित होता है। जो समय जिस कार्य का हो, उस समय पर वह कार्य करना चाहिए। समय एक ऐसा तत्त्व है, जो नि:शुल्क मिलता है। प्रतिदिन में 24 घंटे हर आदमी को मिलते हैं। कई बार मुफ्त में मिलने वाली चीज का अवमूल्यन भी हो सकता है।
बादल बरसता है, उसका बरसा हुआ पानी गंदी नाली में भी जा सकता है और उसका बरसा पानी कुंड में जा सकता है, कोई बरसा पानी बाल्टी में ले सकता है। पानी तो व्यापक रूप में बरसा है, उस पानी का उपयोग कैसा होता है, वह अलग बात है।
शास्त्रकार ने कहा है कि जो-जो रात्रि बीत रही है, बीतती है, उसमें आदमी धर्म करता है तो रात्रि सफल हो जाती है। उसमें जो अधर्म करता है, उसकी रात्रि असफल हो जाती है। जो आदमी समय का बढ़िया उपयोग करता है, वह दुनिया का बढ़िया आदमी है। जो आदमी समय का घटिया उपयोग करता है, वह दुनिया का घटिया आदमी है।
समय का हम कैसा उपयोग करते हैं, यह एक धातव्य विषय है। आर्ष सूत्र हैपंडित क्षण को पहचानो, समय-मात्र भी प्रमाद मत करो, जागरूक रहो, समय का अच्छा उपयोग करो।
समय धन है। जैसे कंजूस आदमी पैसे को सोच-सोचकर खर्च करता है, वैसे ही हमें समय का सोच-सोचकर अच्छे कार्य में उसका व्यय-नियोजन करना चाहिए। समय को बेकार मत जाने दो।
शरीर और आत्मा दो घटक तत्त्व हैं, इन दोनों से जीवन बनता है। आत्मा पर ध्यान दें कि मेरी आत्मा निर्मल बने। आत्मा के लिए साधना करें। यह एक प्रसंग से समझाया कि व्यस्त होना एक बात है, अस्त-व्यस्त होना अलग बात है। हमारा दिमाग अस्त-व्यस्त न हो, यह ध्यान रखें।

समय को सिस्टेमेटिक ढंग से व्यवस्थित रखा जाए। दिनचर्या अच्छी हो। आदमी का उठने का और सोने का समय पहले तय हो जाए तो समय की व्यवस्था हो जाती है। समय-सारिणी अच्छी हो, समय की नियमितता हो। दुकान समय पर खोल दी तो ग्राहक आने शुरू हो जाएँगे।
वक्‍ता के लिए आवश्यक है कि जो समय दिया गया है उसका अतिक्रमण न हो। भाषण के दो आयाम हैंभाषण की लंबाई कितनी और भाषण की गहराई कितनी? गहराई की पूर्ति लंबाई से नहीं हो सकती। भाषण में गहराई महत्त्वपूर्ण बात हो सकती है। समय की नियमितता रहती है, तो जीवन का एक अच्छा संस्कार, अच्छी आदत हो जाती है। गृहस्थ ध्यान दें कि मैं धर्माराधना के लिए, आत्मा के लिए कितना समय लगाता हूँ।
शनिवार की 7 से 8 सायं की सामायिक करने का विशेष ध्यान रखें। स्वाध्याय के लिए समय का नियोजन करें। बच्चों को सुसंस्कार देने के लिए समय निकालें। बच्चे अच्छे संस्कारी होंगे तो भविष्य अच्छा होगा। हम समय का अच्छा उपयोग करें।
आज यहाँ सेवाधाम आश्रम में आए हैं। सेवा के नाम से जुड़ा ये आश्रम। खूब आध्यात्मिक-धार्मिक संस्कार यहाँ चलते रहें, पलते रहें। यहाँ के रहने वाले लोगों में अहिंसा, करुणा, संयम ये संस्कार अच्छे रहें।
पूज्यप्रवर के स्वागत में सेवा धाम आश्रम के संस्थापक सुधीर गोयल ने गद्गद भावों से अपनी अभिव्यक्‍ति एवं आश्रम की गतिविधियों की जानकारी दी।
पूज्यप्रवर ने फरमाया कि वेदप्रतापजी वैदिक जो यहाँ से जुड़े हुए हैं, उनसे हमारा पहले मिलना हुआ था। उनके विचारों से जनता को अच्छी खुराक मिलती रहे। जनता को एक पथदर्शन भी देते रहें। अच्छा काम करते रहें।
कार्यक्रम का संचालन मुनि मनन कुमार जी ने किया।