तप आराधना चरमोत्सव दिवस

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तप आराधना चरमोत्सव दिवस

मैसूर
आचार्य भिक्षु के चरमोत्सव पर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने तपस्वी का जीवन जीया। संघ को तेजस्वी बनाया। वे प्रकाश स्तंभ बनकर मानव मात्र को प्रकाश बाँटते रहे। साधना के बिहड़ मार्ग पर निरंतर गतिशील रहे।
उनकी प्रज्ञा जागृत थी, वे विलक्षण प्रतिभा संपन्‍न आचार्य थे। आचार्य भिक्षु का आचार-विचार और व्यवहार जन-जन को आकृष्ट करने वाला था। वे अध्यात्म के प्रवर पुरुष और आग्रह मुक्‍त व्यक्‍तित्व के धनी थे। इस अवसर पर पवन मुणोत एवं उपासक राजेश आच्छा ने गीत एवं विचार व्यक्‍त किए। हुनसुर से समागत निशा बोहरा ने 15 दिन की तपस्या का सम्मान तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं तेयुप द्वारा किया गया। चंचल बोहरा एवं संगीता बोहरा ने भावना प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा मंत्री अशोक दक ने स्वागत किया। साध्वीवृंद ने तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया। साध्वी सिद्धियशा जी ने आचार्य भिक्षु के प्रति कविता प्रस्तुत की। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने भाव व्यक्‍त किए। संचालन साध्वी राजुलप्रभा जी ने किया।