दूरदर्शी आचार्य आचार्य भिक्षु

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दूरदर्शी आचार्य आचार्य भिक्षु

नोहर
स्थानीय तेरापंथ भवन के प्रांगण में शासनश्री मुनि विजय कुमार जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक आचार्य भिक्षु का 219वाँ निर्वाण दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ रमणीय मुनि के मंगलाचरण से हुआ। शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि महाभाग आचार्य भिक्षु का नाम सुधारवादी आचार्यों की श्रेणी में पहले स्थान पर लिखा जा सकता है। उन्होंने विक्रम संवत् 1808 में 25 वर्ष की आयु में स्थानकवासी संप्रदाय के प्रतिष्ठित आचार्य रघुनाथ जी के पास दीक्षा ली। आगम ग्रंथों का अध्ययन किया। उनकी त्याग-तपस्या का ही परिणाम है कि तेरापंथ की ज्योत 262 वर्ष के बाद भी जल रही है। उन्होंने जो लकीरें खींची वे अमिट बन गई, आज भी धर्मसंघ उन लकीरों पर चल रहा है। वे दूरदर्शी आचार्य थे। समय को देखते हुए आने वाले आचार्य अगर कुछ परिवर्तन करना चाहे तो उसके लिए उन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता दी। शासनश्री जी ने आचार्य भिक्षु की अभ्यर्थना में गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन सुशील सिपानी ने किया। अन्य वक्‍ताओं में महिला मंडल अध्यक्ष किरण देवी छाजेड़, महेंद्र सिपानी, सरला देवी सिपानी, सज्जन देवी छाजेड़, तारा देवी बांठिया, पुष्पा देवी सिपानी, विनोद बरड़िया, चंद्रेश सिपानी, महिला मंडल आदि ने गीत, भाषण द्वारा महामना भिक्षु को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।