विकास के पुरोधा - गुरुदेव श्री तुलसी

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विकास के पुरोधा - गुरुदेव श्री तुलसी

विशाखापट्टनम
साध्वी त्रिशला कुमारी जी के सान्‍निध्य में विकास महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ महिला मंडल की बहनों की मधुर स्वर लहरी के साथ हुआ। सभा के भूतपूर्व अध्यक्ष सिद्धकरण आंचलिया ने आचार्य तुलसी को विकास पुरुष बताते हुए अपने भावों की अभिव्यक्‍ति दी। महासभा के आंचलिक प्रभारी विमल कुंडलिया ने तेरापंथ के विकास की कहानी को अपने शब्दों का बाना पहनाया। साध्वी रश्मिप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका ने सभा को भाव-विभोर कर दिया। साध्वी कल्पयशा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ एक विकासशील धर्मसंघ है। धर्मसंघ के विकास में हमारे पूर्वाचार्यों का तो बहुत योगदान रहा ही है, साथ ही साथ विकास के पुरोधा आचार्यश्री तुलसी ने विकास के नए-नए आयाम उद्घाटित किए। उन्होंने समाज को नई दिशा बोध दिया तो धर्मसंघ को विकास के नए आयाम दिए। देश के नैतिक उत्थान के लिए अणुव्रत का शंखनाद किया तो तनाव व टेंशन भरे शोरगुल में प्रेक्षाध्यान रूपी संजीवनी हमें दी। इसी प्रकार साध्वीश्री जी ने अनेक रोचक प्रसंगों के माध्यम से सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम का संयोजन विमल कुंडलिया ने किया।